मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस की रिपोर्टिंग पर हाई कोर्ट के आदेश की एडिटर्स गिल्ड ने की निंदा, कहा- लोकतंत्र होगा कमजोर
By भाषा | Published: August 25, 2018 05:21 PM2018-08-25T17:21:50+5:302018-08-25T17:42:20+5:30
बिहार के मुजफ्फपुर स्थित बालिका शेल्टर होम की 42 लड़कियों में से 34 लड़कियों के बलात्कार की मेडिकल रिपोर्ट में पुष्टि हुई थी। मामले की जाँच नीतीश कुमार सरकार ने सीबीआई को सौंप दी है।
नयी दिल्ली, अगस्त (भाषा) एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले की रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश की आज निंदा की।
एडिटर्स गिल्ड ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और भारत के प्रधान न्यायाधीश से फैसले की समीक्षा करने की अपील की।
एक बयान में मीडिया निकाय ने कहा कि जन महत्व के मामले की रिपोर्टिंग पर इस तरह का रोक प्रतिकूल होगा। साथ ही इसने मीडिया पर इस तरह का रोक लगाने की अदालतों की बढ़ती हालिया प्रवृत्ति की निंदा करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के स्तंभों में से एक को कमजोर करता है।
बयान में कहा गया है कि गिल्ड इस बात पर गौर करके परेशान है कि मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा करने की बजाय अदालत ने ऐसा आदेश जारी किया है जो इसपर अंकुश लगाता है।
बयान में कहा गया है, ‘‘वह भारत के प्रधान न्यायाधीश और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से रोक लगाने वाले आदेश की समीक्षा करने और स्वतंत्र मीडिया एवं लोकतंत्र के सिद्धांतों को बरकरार रखने की अपील करता है।’
गिल्ड ने मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायमूर्ति रवि रंजन के 23 अगस्त के मौखिक आदेश पर भी गौर किया जिसमें कहा गया था कि जब तक आश्रय गृह मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है तब तक सभी प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर मामले के संबंध में और खासतौर पर पहले ही शुरू हो चुकी जांच या आगे होने वाली जांच के बारे में रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाई जाती है।
पीठ ने दावा किया था कि रिपोर्टिंग से मामले की जांच गंभीर रूप से बाधित हो सकती है।