सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सही से लागू होता ये एक्ट तो नहीं होते मुजफ्फरपुर-देवरिया जैसे शेल्टर होम कांड

By पल्लवी कुमारी | Published: August 22, 2018 05:33 AM2018-08-22T05:33:06+5:302018-08-22T05:33:06+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को सलाह भी दी है कि वह देश में चल रहे शेल्टर होम के ऑडिट के कोई एक संस्था बनवाए।

supreme court says on JJ act and Committee to be set up on shelter home | सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सही से लागू होता ये एक्ट तो नहीं होते मुजफ्फरपुर-देवरिया जैसे शेल्टर होम कांड

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, सही से लागू होता ये एक्ट तो नहीं होते मुजफ्फरपुर-देवरिया जैसे शेल्टर होम कांड

नई दिल्ली, 22 अगस्त:सुप्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम मामले में सुनवाई करते हुए जुविनाइल जस्टिस (जेजे) एक्ट पर कई सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने सुनवाई में कहा अगर देश में जेजे एक्ट सही से काम कर रहा होता तो यूपी का देवरिया और बिहार के मुजफ्फरपुर जैसी घटनाएं देखने को नहीं मिलती। कोर्ट ने केन्द्र सरकार को सलाह भी दी है कि वह देश में चल रहे शेल्टर होम के ऑडिट के कोई एक संस्था बनवाए। कोर्ट ने शेल्टर होम मे रहने वाले बच्चों की संख्या में आई तेजी से गिरावट पर भी गहरी चिंता जताई है। 

बच्चे आखिर कहां लापता हो रहे हैं? 

कोर्ट ने कहा कि शेल्टर होम में भी रह बच्चों को दिल और आत्मा होता है। आखिर बच्चों की संख्या में इतनी कमी क्यों आई? क्या राज्य और केन्द्र सरकार ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि ये बच्चे आखिर कहां लापता हो रहे हैं? मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी एक सुझाव दिया है कि वह केंद्र और राज्य स्तर पर ऐसे शेल्टर होम की निगरानी के लिए एक कमिटी बनाएगी। वहीं इस मामले में शेल्टर होम से बच्चों की संख्या में आई कमी पर केंद्र सरकार ने कोर्ट में रिपोर्ट सौंपने का भी निर्देश दिया है। 

बच्चों को महज ‘संख्या’ माना जा रहा 

बता दें कि कोर्ट ने दो सर्वेक्षणों में बाल देखभाल संस्थाओं में रह रहे बच्चों की संख्या में तकरीबन दो लाख के अंतर संबंधी अनियमितता पर हैरानी जताई। न्यायालय ने कहा कि यह बेहद परेशान करने वाली बात है कि ऐसे बच्चों को महज ‘संख्या’ माना जा रहा है। शीर्ष अदालत उस वक्त हतप्रभ रह गई जब उसे बताया गया कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देश पर 2016-17 में कराए गए सर्वेक्षण के अनुसार बाल देखभाल संस्थाओं (सीसीआई) में रहने वाले बच्चों की संख्या तकरीबन 4.73 लाख थी जबकि सरकार ने इस साल मार्च में जो आंकड़ा अदालत में दाखिल किया है उसमें उनकी संख्या 2.61 लाख बताई गई है।

गंभीर मुद्दे की जांच हो

न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट नहीं है कि शेष तकरीबन दो लाख बच्चों का क्या हुआ। ये बच्चे आंकड़ों से गायब प्रतीत हो रहे हैं।’’पीठ ने केंद्र से कहा, ‘‘इन दो लाख के अलावा देश में कितने बच्चे लापता हैं।’’ पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल हैं। पीठ ने कहा कि इस बात की संभावना है कि सीसीआई ने राज्य सरकारों को ‘बढ़ाकर आंकड़े’ दिये हों ताकि अधिक धन हासिल कर सकें। इस गंभीर मुद्दे की जांच किये जाने की आवश्यकता है।

आखिर इतना अंतर क्यों है...

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील ने न्यायालय से कहा कि सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा सीसीआई में रह रहे बच्चों की संख्या के बारे में आंकड़ों का संकलन किया था और इस संबंध में मार्च में रिपोर्ट दाखिल की थी। केंद्र के वकील ने पीठ से कहा, ‘‘हम राज्यों द्वारा प्रदान किये गए आंकड़ों पर भरोसा करते हैं। राज्यों को बताना है कि इतना अंतर क्यों है। हम राज्यों से संपर्क करेंगे ताकि जान सकें कि कौन सा आंकड़ा सही है।’’ 

सुप्रीम कोर्ट ने स्वत संज्ञान लिया

उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये बच्चे गुमशुदा हैं तो यह गंभीर चिंता का विषय है और यह बेहद खौफनाक है।’’ पीठ ने इस मामले में न्यायालय की सहायता कर रहीं वकील अपर्णा भट्ट के सुझावों का उल्लेख करते हुए कहा कि वह सीसीआई की निगरानी के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर समितियां गठित करने पर विचार कर रहा है। इसके बाद पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 28 अगस्त को निर्धारित कर दी। बता दें कि सु्प्रीम कोर्ट ने शेल्टर होम केस में स्वत संज्ञान लिया था। कोर्ट ने  मुजफ्फरपुर कांड पर मीडियो को भी जमकर सुनाया था। कोर्ट ने कहा था मीडिया पीड़िच बच्चियों का इंटरव्यू ना ले और ना ही उनकी तस्वीर छापे। 

क्या था मुजफ्फरपुर बालिक गृह मामला 

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), मुम्बई द्वारा अप्रैल में राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले सामने आया था।

बालिका गृह में रहने वाली 42 में से 34 लड़कियों के चिकित्सकीय परीक्षण में उनके साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। एनजीओ ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह का मालिक बृजेश ठाकुर इस मामले में मुख्य आरोपी है। इस मामले में 31 मई को 11 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर समेत 10 लोगों को तीन जून को गिरफ्तार किया गया था। एक व्यक्ति फरार है। 

बिहार पुलिस ने 26 जुलाई को इन आरोपियों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। राज्य सरकार ने 26 जुलाई को इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी और बाद में सीबीआई ने इसकी जांच राज्य पुलिस से अपने हाथ में ले ली थी।

क्या था देवरिया शेल्टर होम केस 

6 अगस्त को यूपी पुलिस देवरिया संरक्षण गृह पर छापा मारकर  24 लड़कियों को वहां से मुक्त करवाया था। छापा मारा गया तो  42 में से 18 लड़कियां गायब मिलीं थी। मिली जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि इस शेल्टर होम में देह व्यापार का धंधा पिछले एक सालों से चल रहा था।

पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने बताया कि मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान द्वारा शहर कोतवाली क्षेत्र में संचालित बाल एवं महिला संरक्षण गृह में रहने वाली एक लड़की रविवार को महिला थाने पहुंची और संरक्षण गृह में रह रही लड़कियों को कार से अक्सर बाहर ले जाये जाने और सुबह लौटने पर उनके रोने की बात बतायी। शिकायत करने वाली लड़की बिहार के बेतिया की रहने वाली बतायी जाती है।

(भाषा इनपुट)

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