एक ही छत के नीचे रहे, बेटे और बहू ने माता-पिता को अपशब्द कहे, मकान छोड़ वृद्धाश्रम चले जाने को कहा, आयोग ने कहा-अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 21, 2025 16:08 IST2025-07-21T16:07:15+5:302025-07-21T16:08:48+5:30

बच्चों के साथ एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद दंपति को अलग-थलग रखा गया और उन्हें अपशब्द कहे गए जिसके कारण उन्हें मानसिक परेशानी से जूझना पड़ा।

chandigarh same roof son bahu kept parents isolated used abusive language leave house go to old age home Haryana Human Rights Commission said violation of Article 21 | एक ही छत के नीचे रहे, बेटे और बहू ने माता-पिता को अपशब्द कहे, मकान छोड़ वृद्धाश्रम चले जाने को कहा, आयोग ने कहा-अनुच्छेद 21 का उल्लंघन

सांकेतिक फोटो

Highlights उत्पीड़न एवं उपेक्षा किए जाने को लेकर तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था।शांतिपूर्वक रहने के अधिकार को बिना किसी देरी के सुनिश्चित किया जाना चाहिए।मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की गई है। 

चंडीगढ़ः हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने अपने बेटे और बहू पर उत्पीड़न, उपेक्षा एवं संपत्ति हस्तांतरण के लिए दबाव डालने का आरोप लगाने वाले एक बुजुर्ग दंपति के पक्ष में निर्देश जारी किए हैं। शिकायत के अनुसार, पंचकूला में अपने बेटे और बहू के साथ रहने वाला वृद्ध दंपति स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है और दोनों को कई ऑपरेशन कराने की आवश्यकता है। इसमें कहा गया है कि अपने बच्चों के साथ एक ही छत के नीचे रहने के बावजूद दंपति को अलग-थलग रखा गया और उन्हें अपशब्द कहे गए जिसके कारण उन्हें मानसिक परेशानी से जूझना पड़ा।

शिकायतकर्ता(82) और उनकी पत्नी (72) ने आयोग से संपर्क कर अपने बेटे और बहू द्वारा लगातार उत्पीड़न एवं उपेक्षा किए जाने को लेकर तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने उन पर उनकी आवासीय संपत्ति का स्वामित्व हस्तांतरित करने के लिए दबाव डाला तथा उनसे वृद्धाश्रम चले जाने को कहा।

उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें परेशान करने के लिए घरेलू हिंसा का झूठा मामला भी दर्ज किया गया। उन्होंने 18 जनवरी, 2025 को पंचकूला में वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण के समक्ष माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत निष्कासन के लिए एक आवेदन भी दायर किया था।

आयोग ने कहा कि अधिनियम की धारा चार के तहत वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों से भरण-पोषण का दावा करने के हकदार हैं, धारा 23 के तहत देखभाल की शर्त पर हस्तांतरित की गई किसी भी संपत्ति को देखभाल नहीं किए जाने की स्थिति में अमान्य घोषित किया जा सकता है; जबकि धारा 24 के तहत वरिष्ठ नागरिक को त्यागना दंडनीय अपराध है।

आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने कहा कि इस तरह का व्यवहार न केवल 2007 के अधिनियम का उल्लंघन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 का भी घोर उल्लंघन है, जो सम्मान के साथ जीने के अधिकार की गारंटी देता है। न्यायमूर्ति बत्रा ने 15 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि आयोग को प्रथम दृष्टया दुर्व्यवहार और जानबूझकर उपेक्षा के साक्ष्य मिले हैं तथा शिकायतकर्ताओं को तत्काल सुरक्षा मिलनी चाहिए और उनके अपने घर में शांतिपूर्वक रहने के अधिकार को बिना किसी देरी के सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

इसने पंचकूला के उपायुक्त को बुजुर्ग दंपत्ति की तत्काल सुरक्षा सुनिश्चित करने, वरिष्ठ नागरिक न्यायाधिकरण के समक्ष कार्यवाही में तेजी लाने, आवश्यक प्रशासनिक सहायता प्रदान करने और सुनवाई की अगली तारीख से पहले आयोग को कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। आयोग के सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी पुनीत अरोड़ा ने बताया कि मामले की अगली सुनवाई 23 सितंबर को निर्धारित की गई है। 

Web Title: chandigarh same roof son bahu kept parents isolated used abusive language leave house go to old age home Haryana Human Rights Commission said violation of Article 21

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