कोलकोता: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कोलकाता बलात्कार-हत्या मामले में आरोपी का मनोवैज्ञानिक परीक्षण शुरू कर दिया है। सीबीआई की केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के पांच विशेषज्ञों की एक टीम परीक्षण की निगरानी करेगी। 9 अगस्त को मुख्य आरोपी, कोलकाता पुलिस के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय, आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पुलिस चौकी पर तैनात था और सभी विभागों में उसकी पहुंच थी। गुरुवार की रात एक 31 वर्षीय स्नातकोत्तर डॉक्टर एक सेमिनार रूम में सो गई थी। शुक्रवार की सुबह, कई चोटों के साथ अर्धनग्न अवस्था में उनका शव मिला।
हालांकि इस परीक्षण के लिए सीबीआई को अदालत से अनुमति की आवश्यकता नहीं है, लेकिन इसके निष्कर्ष के बाद आरोपी के ब्रेन मैपिंग, लाई डिटेक्टर, नार्कोएनालिसिस जैसे अन्य परीक्षण अदालत की अनुमति से किए जा सकते हैं। परीक्षण करने के लिए कल कोलकाता पहुंची सीबीआई की पांच डॉक्टरों की टीम संजय रॉय से पहले से तैयार सूची से सवाल पूछेगी। सेमिनार हॉल से साक्ष्य एकत्र करने के लिए एक फोरेंसिक टीम तीसरे दिन भी आरजी कर अस्पताल में है, जहां पीड़िता का शव मिला था।
मनोवैज्ञानिक परीक्षण क्या है?
मनोविश्लेषण का अर्थ है मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, जो विचाराधीन कैदियों की आदतों, दिनचर्या और व्यवहार को समझने के लिए किया जाता है। इस परीक्षण में जांच एजेंसी की टीम रॉय की आवाज़ को लेयर्ड वॉयस एनालिसिस यानी झूठ पकड़ने वाले उपकरण में डाल सकती है और उसके ज़रिए यह पता लगाया जा सकता है कि वह सच बोल रहा है या नहीं। इस परीक्षण को "साइक्लॉजिकल ऑटोप्सी" भी कहा जाता है।