बिहार: रेड लाइट इलाकों से गिरफ्तार हुए लोगों को खानी पड़ सकती लंबे समय तक जेल की हवा
By एस पी सिन्हा | Published: March 15, 2020 06:12 AM2020-03-15T06:12:33+5:302020-03-15T06:12:33+5:30
इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक-कमजोर वर्ग (अपराध अनुसंधान विभाग) ने सख्त निर्देश जारी किया है. अब वेश्यालयों से पीड़िताओं को रेस्क्यू के दौरान जो ग्राहक या अपराधी गिरफ्तार किए जाएंगे, उनके विरुद्ध सख्त धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी ताकि उन्हें न्यायालय से आसानी से जमानत नहीं मिल सके.
बिहार में वेश्यालयों में या उसके आसपास से गिरफ्तार किए जाने वाले ग्राहकों और अपराधियों के विरुद्ध और भी सख्त कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है. अगर पकड़े गए तो उन्हें अदालत से आसानी से जमानत नहीं मिलेगी, ऐसी व्यवस्था किये जाने की तैयारी की जा रही है. दरअसल, पुलिस मुख्यालय का मानना है कि मानव तस्करी के विरुद्ध की जा रही अनेकों कार्रवाइयों के बावजूद भी अपराध नियंत्रित नहीं हो रहा है.
ऐसे में उक्त मामले में अब गिरफ्तार किए गए ग्राहकों व अपराधियों के विरुद्ध भादवि की सुसंगत धाराओं के साथ-साथ आइटीपीए एक्ट 1956, जेजे एक्ट 2015 तथा पॉक्सो एक्ट 2012 की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाएगी.
इस संबंध में पुलिस महानिरीक्षक-कमजोर वर्ग (अपराध अनुसंधान विभाग) ने सख्त निर्देश जारी किया है. अब वेश्यालयों से पीड़िताओं को रेस्क्यू के दौरान जो ग्राहक या अपराधी गिरफ्तार किए जाएंगे, उनके विरुद्ध सख्त धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की जाएगी ताकि उन्हें न्यायालय से आसानी से जमानत नहीं मिल सके. पुलिस मुख्यालय का मानना है कि मानव तस्करी से संबंधित प्राथमिकी में उचित धाराओं का समावेश नहीं किए जाने के कारण गिरफ्तार ग्राहक व अपराधी आसानी से न्यायालय से जमानत पर मुक्त हो जाते हैं.
जमानत पर मुक्त होने के बाद पुन: उसी धंधे में संलिप्त हो जाते हैं. जिस कारण पुलिस मुख्यालय ने निर्देश जारी किया है कि कि उक्त मामलों से संबंधित प्राथमिकी दर्ज करने में भादवि की सुसंगत धाराओं के साथ-साथ आइटीपीए एक्ट 1956, जेजे एक्ट 2015 तथा पॉस्को एक्ट 2012 की सुसंगत धाराएं लगाई जाए.
पुलिस महानिरीक्षक-कमजोर वर्ग (अपराध अनुसंधान विभाग) द्वारा जारी पत्र के आलोक में पुलिस अधीक्षकों ने अपने जिले के सभी थानाध्यक्षों, ओपी अध्यक्षों को सख्त निर्देश दिया है कि वेश्यालयों से पीड़िताओं की रेस्क्यू (बचाव) के दौरान गिरफ्तार किए जाने वाले ग्राहकों व अपराधियों के विरुद्ध भादवि की सुसंगत धाराओं के साथ-साथ आइटीपीए एक्ट 1956, जेजे एक्ट 2015 तथा पॉस्को एक्ट 2012 की सुसंगत धाराओं के अधीन दृढ़तापूर्वक प्राथमिकी दर्ज करना सुनिश्चित करें. ऐसे में अब वेश्यालयों या मानव तस्करी के मामले में गिरफ्तार लोगों को लंबे समय तक जेल की हवा खानी पड़ेगी.