MLC बनने के लिए ATM लुटेरा बन गया एम टेक पास कौशल चौधरी, कई राज्य में फैला नेटवर्क, दो महीने के अंदर चार एटीएम पर हाथ साफ
By एस पी सिन्हा | Updated: February 10, 2022 15:46 IST2022-02-10T15:45:03+5:302022-02-10T15:46:07+5:30
पटना के पॉश इलाके पाटलिपुत्र में किराए पर फ्लैट लेकर रह रहे थे. इनमें से एक अमीन का काम करता है तो दूसरा आईटीआई का संचालक है.

कौशल एम टेक करने के बाद कई दिनों तक व्यवसाय कर रहा था.
पटनाः बिहार में एक ऐसे एटीएम चोर गिरोह का पर्दाफाश हुआ है, जो विधान परिषद चुनाव लड़ने के लिए बैंक एटीएम काट कर पैसों की चोरी करता था. चोर गिरोह का सरगना काफी पढ़ा लिखा है और एम-टेक पास है. पटना पुलिस ने इस गिरोह को पकड़ा है, जिसने दो महीने के अंदर चार एटीएम को निशाना बनाया.
गिरोह के सदस्य पटना के पॉश इलाके पाटलिपुत्र में किराए पर फ्लैट लेकर रह रहे थे. इनमें से एक अमीन का काम करता है तो दूसरा आईटीआई का संचालक है. प्राप्त जानकारी के अनुसार स्कॉर्पियो पर घूमकर यह गिरोह एटीएम को निशाना बनाता था. पटना पुलिस की टीम ने अपने अनुसंधान में पाया कि चारों एटीएम को एक ही तरीके से काटा गया है.
पुलिस ने जब पूरे मामले की छानबीन शुरू की तब चंद दिनों के बाद ही वह गिरोह तक पहुंच गई. इस गिरोह का सरगना बड़हरिया, सीवान कराने वाला कौशल चौधरी है. कौशल एम टेक करने के बाद कई दिनों तक व्यवसाय कर रहा था. लेकिन व्यवसाय में मनमाफिक मुनाफा नहीं होते देख उसने शॉर्टकट तरीके से पैसे कमाने की सोंची.
इसके बाद कौशल ने यूट्यूब के माध्यम से एटीएम काटने के तरीके को बारीकी से सीखा. एटीएम काटने में किन-किन औजारों की जरूरत पड़ती है इसकी जानकारी भी कौशल ने यूट्यूब से ही ली, इसके बाद कौशल ने एक गिरोह तैयार किया. इस गिरोह में सीवान के ही बगल के जिले के गोपालगंज के मीरगंज का संतोष सोनी भी शामिल हो गया.
हालांकि, पुलिस इस गिरोह के सरगना को अब तक नहीं पकड़ पाई है. माना जा रहा है कि गोपालगंज का रहने वाला मदन यादव इससे गिरोह का सरगना है. बताया जाता है कि 15 दिसंबर 2021 को इस गिरोह ने सबसे पहले पटना में इंडियन ओवरसीज बैंक के एटीएम को क्षतिग्रस्त कर रुपए निकालने का प्रयास किया.
इसके बाद 27 जनवरी को कोतवाली थाना के पास सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम को गैस कटर से काटने की कोशिश की गई. 2 दिनों बाद 29 जनवरी को दीघा स्थित कोटक बैंक के एटीएम को तोडकर रुपए निकालने की कोशिश की गई. लेकिन संयोग यह रहा कि किसी भी एटीएम से पैसे निकालने में अपराधियों को कामयाबी नहीं मिली.
गिरोह के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने इन अपराधियों से पूछताछ की तो इन्होंने मदन यादव को ही अपना हेड बताया. मदन यादव ने ही इन्हें एटीएम काटने की ट्रेनिंग दी थी. एटीएम को निशाना बनाने के बाद यह सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर भी उखाड़ लेते थे.
एटीएम में जाने से पहले यह गलब्स हाथ में जरूर पहनते थे ताकि कहीं फिंगरप्रिंट ना छूट जाए. ड्रिल मशीन और कटर के जरिए एटीएम को तोड़ा जाता था. वेल्डिंग मशीन से चेस्ट करेंसी को काटा जाता था. और फिर पैसे निकाल लिए जाते थे.