पटना, 28 अगस्त:बिहार के दरभंगा में चर्चित दो इंजीनियरों के हत्या मामले का मुख्य आरोपी संतोष झा को बेखौफ अपराधियों ने दिनदहाड़े सीतामढ़ी कोर्ट परिसर में हीं गोली मारकर हत्या कर दी। गोली चलने से सीजेएम कोर्ट में अफरातफरी मच गई। संतोष झा को कोर्ट में आज पेशी के लाया गया था। संतोष झा को जैसे ही कोर्ट परिसर में लाया गया उसके सिर व पेट में पिस्टल से गोली मारी गई और हमलावर भाग गये। मामले में एक की गिरफ्तारी हो गई है। बाकियों की गिरफ्तारी के लिए पड़ताल की जा रही है। घटना के दौरान कोर्ट का एक कर्मचारी भी घायल हो गया था। एसपी विकास बर्मन का कहना है कि इसमें दो से तीन और लोग शामिल हो सकते हैं।
लेकिन हमले के समय कई सुरक्षाकर्मी संतोष झा के साथ चल रहे थे जिन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ। कोर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे से मिले फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि गोली लगते ही संतोष झा जमीन पर गिर पड़ा और हथियारों से लैस सुरक्षाकर्मी उसे उठाकर अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी में बैठा रहे हैं। बता दें कि इंजीनियर मुकेश कुमार व ब्रजेश कुमार की हत्या के मामले गैंगस्टर संतोष झा और मुकेश पाठक सहित दस अभियुक्तों को दरभंगा की अदालत ने सात मार्च, 2018 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। संतोष झा के गुर्गों ने रंगदारी नहीं देने पर सड़क निर्माण कंपनी के दो अभियंताओं को 26 दिसंबर, 2015 के दिन एके 47 से भून दिया था। कंपनी के इंजीनियर मुकेश कुमार तथा ब्रजेश कुमार की मौत से कंस्ट्रक्शन करने वाली कंपनियों में दहशत फैल गई थी। इस घटना ने बिहार के पुलिस महकमा को भी हिला कर रख दिया था। इसके बाद पुलिसिया कार्रवाई शुरू हुई और अंतत: पुलिस तथा एसटीएफ की टीम ने पूरे गैंग को दबोच लिया था।
वहीं, प्राप्त जानकारी के अनुसार संतोष झा को गोली मारने के मामले में पुलिस ने दो हमलावरों को गिरफ्तार किया है। पुलिस इस मामले में अन्य अपराधियों की तलाश में जुटी है। बताया जाता है कि अपराधियों के द्वारा करीब 20 राउंड फायरिंग किये जाने के दौरान सीजेएम कोर्ट का एक चपरासी भी घायल हो गया। पेशी के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संतोष झा को सीतामढ़ी जेल से ही लाया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो संतोष झा पर हमला करने के बाद एक हमलावर फायरिंग करते हुए कोर्ट परिसर से फरार हो गया। वहीं गोली लगने के बाद संतोष झा को तत्काल इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई। पिछले दिनों संतोष झा को सीतामढ़ी जेल में यहां के मुकदमों की सुनवाई को लेकर लाया गया था। कुछ दिनों पूर्व मोतिहारी में भी इसी के गैंग के सदस्य की कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
यहां उल्लेखनीय है कि माफिया डॉन संतोष झा ने मिथिला में बिहार पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट बना रखा था। इसे उसने नक्सलियों के ग्रुप के तर्ज पर तैयार किया था। संतोष और विकास पहले नक्सली गिरोह में अहम पदों पर रह चुके थे। लेकिन एक नक्सली कमांडर को धोखे से मरवाकर दोनों सरगना बन बैठे। इसके बाद दोनों ने इस नक्सली ग्रुप को अपराधी ग्रुप मे तब्दील कर दिया। पूरे इलाके का यह सबसे बड़ा लेवी वसूलने वाला गिरोह बन गया। इस गिरोह के पास तीन एके 47 राइफले हैं। बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए एके 47 राइफल का इस्तेमाल किया जाता है। दरभंगा इंजीनियर हत्या केस में भी इंजीनियरों की हत्या एके 47 से ही की गई थी।
पहले रोड बना रही कंपनी से गैंगस्टर संतोष झा ने करोड़ों की रंगदारी मांगी और नहीं देने पर संतोष झा ने अपने गुर्गों से इंजीनियरों की हत्या करवा दी। इस गिरोह का संपर्क कई सफेदपोशों और खाकीधारियों से भी है। समय-समय पर इस गिरोह को इन लोगों का साथ मिलता रहता है। इससे ये बचने में कामयाब हो जाते हैं। इस ग्रुप में लडके एक सिंडिकेट की तरह काम करते हैं। करीब 40 ऐसे लड़के हैं, जिन्हे संतोष झा गिरोह तन्ख्वाह भी देता है। कुख्यात संतोष झा पर हत्या, अपहरण, लूट और रंगदारी कुल 32 मामले दर्ज थे। ज्यादातर मामलों में उसे जमानत मिल चुकी थी। चार महीने में पांच बड़े मामलों में वह बरी हुआ था। संतोष झा पर जेल से रंगदारी मांगने का आरोप है। वह जेल से ठेकेदारों को फोन करता था और टेंडर नहीं डालने का दबाव बनाता था। शिवहर में निजी बिलजी कंपनी के इंजीनियर की हत्या का भी आरोप लगा था।