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बिहार शराबबंदी कानूनः 856 जगहों पर पुलिस पर हमला?, शराब की छापेमारी और पुलिस टीम पर घटना, आखिर क्यों हो रहे हमले

By एस पी सिन्हा | Updated: March 18, 2025 14:30 IST

Bihar Liquor Ban Law: एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने बताया कि होली के दौरान अररिया, मुंगेर, पटना, समस्तीपुर, जहानाबाद समेत अन्य कई जगहों पर पुलिस पर हमले के करीब 12 मामले सामने आए।

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ठळक मुद्देपुलिस सूत्रों की मानें तो अब तक 856 जगहों पर पुलिस पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।'डायल-112' की टीम पर ग्रामीणों ने एक बार पथराव और हमला किया गया।मामले में 28 नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।

पटनाः बिहार में पुलिसवालों पर हमलों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। एक के बाद एक होली से पहले से अब तक कई मामले सामने आ गए हैं। हाल यह है कि दांव पर खाकी के इकबाल पर प्रश्नचिन्ह उठ खडा हुआ है। बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अब तक अर्थात पिछले सात सालों में आठ सौ से ज्यादा बार पुलिस पर हमले की घटनाएं घट चुकी हैं। बिहार में शायद ही कोई जिला बचा हो जहां शराब की छापेमारी करने गई पुलिस टीम पर हमला नहीं हुआ है। पुलिस सूत्रों की मानें तो अब तक 856 जगहों पर पुलिस पर हमले की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।

हालांकि इन आंकड़ों की आधिकारिक पुष्टि किसी भी अधिकारी के द्वारा नहीं की जा रही है। एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन ने बताया कि होली के दौरान अररिया, मुंगेर, पटना, समस्तीपुर, जहानाबाद समेत अन्य कई जगहों पर पुलिस पर हमले के करीब 12 मामले सामने आए। वहीं 18 मार्च को मुंगेर जिले में पुलिस की आपातकालीन सेवा 'डायल-112' की टीम पर ग्रामीणों ने एक बार पथराव और हमला किया गया।

जिसमें तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। मुंगेर के पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद ने मंगलवार को बताया कि इस मामले में 28 नामजद लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। उल्लेखनीय है कि मुंगेर जिले के अलग-अलग थानों में पिछले कुछ दिनों में चार बार पुलिस टीम पर हमला हुआ है। इससे पहले मुंगेर, जमालपुर और धरहरा में भी पुलिस पर हमले हुए हैं।

इन हमलों में एक एएसआइ की मौत हो चुकी है और पांच पुलिसकर्मी घायल हो चुके हैं। वहीं, भागलपुर के कहलगांव अनुमंडल के अंतीचक थाना क्षेत्र में भीड़ के हमले में पांच पुलिसकर्मी घायल हो गए। घायलों में एक उप-निरीक्षक, तीन कांस्टेबल और एक चौकीदार शामिल हैं। जबकि मधुबनी जिले में पुलिस टीम पर उस समय हमला किया गया।

जब वह दो समूहों के बीच झगड़े की सूचना मिलने पर परसाही इलाके में गई थी। शुरुआत में कुछ लोगों ने पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की। इस हाथापाई के दौरान एक पुलिसकर्मी के सिर पर किसी धारदार हथियार से वार किया गया। उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। फिलहाल वह खतरे से बाहर है। हमले में कुछ और पुलिसकर्मियों को मामूली चोटें आई हैं।

इसी तरह के हमले में एक अन्य पुलिसकर्मी घायल हो गया, जब वह अपने कुछ सहयोगियों के साथ नवादा के कौवाकोल थाना क्षेत्र के शेखोदौरा में दो समूहों के बीच पथराव की घटना की सूचना मिलने पर वहां गया था। जबकि बुधवार की रात जब पुलिस अररिया के फुलकाहा के लक्ष्मीपुर इलाके में गिरफ्तारी करने गई, तो पुलिसकर्मियों और उनका विरोध कर रहे कुछ स्थानीय लोगों के बीच हाथापाई हो गई।

इसी बीच किसी ने एएसआई राजीव रंजन को धक्का दे दिया, जिससे वह गिर पड़े और बाद में उनकी मौत हो गई। वहीं, सारण जिले के सोनपुर में पुलिस टीम पर हमला हुआ जिसमें बीच-बचाव करने गए 2 पुलिसकर्मी बुरी तरह से घायल हो गए। लोगों ने पुलिस वालों पर ईंट पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। बिहार के कटिहार में पुलिस थाने पर हमला करने का मामला सामने आया है।

लोगों ने थाने पर तब हमला किया जब पता चला कि पुलिस हिरासत में एक शख्स की मौत हो गई है। भीड़ के हमले में थाना प्रभारी सहित सात पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। इसी तरह रोहतास जिले, मोतिहारी, बांका, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, भोजपुर, नालंदा, समस्तीपुर, सुपौल, पूर्णिया, वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, खगड़िया सहित अधिकतर जिलों में हमले की घटनाएं घट चुकी हैं।

यह सिलसिला लगातार सामने आते जा रहे हैं। जानकारों की मानें तो पुलिस पर हमले की घटनाओं की यह बढ़ती संख्या बिहार में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को स्पष्ट करती है। पुलिस की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। बिहार में पुलिस की कार्यप्रणाली और उनकी सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताएं स्पष्ट रूप से नजर आ रही हैं।

पुलिसकर्मी अपनी जान जोखिम में डालकर कानून-व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के हमले उन्हें और उनके परिवारों को असुरक्षित महसूस कराते हैं। बिहार में पुलिस पर हमलों की कई वजहें हैं। इनमें सबसे प्रमुख कारण है अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने में पुलिस की भूमिका।

गैंग्स और अवैध कारोबार से जुड़े अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करते समय पुलिस अक्सर भीड़ हिंसा और हमलों का शिकार हो जाती है। इसके अलावा, पुलिस पर हमले का एक बड़ा कारण है जनता और पुलिस के बीच अविश्वास। बिहार के कई हिस्सों में पुलिस की कार्यप्रणाली से लोग नाखुश दिखते हैं। जब स्थानीय लोग और अपराधी एक साथ मिलकर पुलिस पर हमला करते हैं, तो स्थिति और बिगड़ जाती है।

वहीं, पुलिस पर हमलों की बढ़ती घटनाओं के बाद डीजीपी विनय कुमार ने कहा कि सभी पुलिस थानों को छापेमारी करने से पहले स्थिति का आकलन करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि जांच स्थलों पर हमेशा पर्याप्त संख्या में कर्मियों के साथ जाने के निर्देश दिए गए हैं। विनय कुमार ने कहा कि लोगों को आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली(ईआरएसएस)डायल 112 को लेकर संयम बरतना चाहिए।

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