पटनाः पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम पर बिहार के डीजीपी को कॉल कर झांसा देने वाले जालसाज अभिषेक अग्रवाल ने पूछताछ में कई अहम खुलासे किये हैं। दरअसल, फरार आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार के लिए पैरवी करने के केस में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने गिरफ्तार अभिषेक अग्रवाल को रिमांड पर लिया था।
48 घंटे की रिमांड के दरम्यान उससे कई बार पूछताछ हई। आज उसे वापस जेल भेज दिया गया। अभिषेक अग्रवाल ने ईओयू के सामने पूछताछ में स्वीकार किया है कि आदित्य कुमार के कहने पर ही उसने सबकुछ किया था। बताया जाता है पूछतछ के दौरान अभिषेक अग्रवाल ने यह बताया है राज्य के पुलिस महानिदेशक और राज्य कई आईएएस अधिकारी को फोन किया था।
सूत्रों के अनुसार अभिषेक अग्रवाल काली कमाई करने वाले अधिकारियों के ब्लैक मनी को वह इन्वेस्ट करता था। कुछ अधिकारी तो उसके टाइल्स के बिजनेस में भी पार्टनर भी बताये जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो अभिषेक के पकड़े जाने से कई आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की सांसे फूल रही हैं क्योंकि, काले कारनामों में शामिल अधिकारियों को एक बात का डर हो गया है कि अभिषेक के जरिए कहीं उनकी असलियत सामने नहीं आ जाए। सूत्र बताते हैं कि अभिषेक अग्रवाल ने बिहार पुलिस भवन निर्माण विभाग में अपनी पैठ बना रखी थी।
इसी पैठ के जरिए वह इस विभाग को टाइल्स की सप्लाई किया करता था। इसके एवज में वो अधिकारियों को कमीशन के तौर पर मोटी रकम खिलाया करता था। कहा जा रहा है कि अभिषेक आईएएस और आईपीएएस अधिकारियों के साथ संबंध बनाकर उनके साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर डालकर अपनी धौंस जमाता था।
शातिर अभिषेक अग्रवाल अपने आपको बिहार के ही एक बड़े आईएएस अधिकारी का साला बताता था। वह अधिकारी पटना के जिलाधिकारी और कमिश्नर के पद पर रह चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि अधिकारी से अपने को अपना जीजा बताकर नौकरशाहों से दोस्ती करता था।
सूत्र बताते हैं कि ऐसा अभिषेक अग्रवाल ने कई लोगों के साथ कर रखा है। सूत्रों के अनुसार दूसरे राज्य के रहने वाले अधिकारियों को यह टारगेट करता था। फिर किसी बहाने से उनसे मिलता था। इसके बाद वो अधिकारियों को फ्लैट दिलवाने में मदद करता था। यही नही किचन से लेकर बाथरूम तक ठीक कराने में उसका महत्वपूर्ण योगदान दिया करता था।