बिहार डीजीपी सिंघल की मुश्किलें बढ़ीं, भ्रष्ट आईपीएस आदित्य कुमार की मदद करना पड़ सकता है भारी, सीबीआई जांच की मांग
By एस पी सिन्हा | Published: October 19, 2022 06:03 PM2022-10-19T18:03:50+5:302022-10-19T18:04:47+5:30
सर्वोच्च न्यायालय से सीबीआई जांच की मांग कर दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सिंह ने कहा है कि आर्थिक अपराध इकाई जांच एजेंसी बिहार के डीजीपी के अंदर ही आता है।
पटनाः बिहार के डीजीपी एसके सिंघल की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। साइबर अपराधी के फोन कॉल पर भ्रष्ट आईपीएस आदित्य कुमार की मदद करना उन्हें भारी पड़ सकता है। पटना हाईकोर्ट के एक अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
उन्होंने इस मामले में मुख्य न्यायाधीश और न्यायपालिका की छवि धूमिल करने की बात कही है और सर्वोच्च न्यायालय से सीबीआई जांच की मांग कर दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सिंह ने कहा है कि आर्थिक अपराध इकाई जांच एजेंसी बिहार के डीजीपी के अंदर ही आता है। इसको लेकर उन्हें जांच में संदेह है।
उनका कहना है कि घटना के मुख्य आरोपित को रिमांड पर वह विभाग ले रहा है जो डीजीपी के अधीन है, ऐसे में निष्पक्ष जांच पर कई सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने लेटर पिटीशन देकर मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। अधिवक्ता मणि भूषण प्रताप सिंह ने डीजीपी पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इस पद पर बैठे किसी व्यक्ति तक अपराधी कैसे पहुंच सकता है?
अगर किसी भ्रष्ट अफसर को मदद पहुंचाने का मामला था तो डीजीपी ने इस पर काम को आसानी से क्यों कर दिया? पुलिस को कोई भी अधिकारी कैसे किसी फ्रॉड के झांसे में आ सकता है? इसमें कहीं न कहीं पुलिस का बड़ा खेल है।
अभिषेक अग्रवाल नामक साइबर अपराधी द्वारा आईपीएस आदित्य कुमार के पक्ष में प्रशासनिक आदेश जारी कराने के लिए कैसे दबाव बना सकता है? वह भी मुख्य न्यायाधीश के नाम का दुरुपयोग करके। डीजीपी की कार्य प्रणाली इसलिए सवालों में है क्योंकि शक भ्रष्ट आईपीएस की मदद के बाद होता है।
उल्लेखनीय है कि गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के दोस्त अभिषेक अग्रवाल ने पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनकर बिहार के डीजीपी को निर्देश दिया था कि आईपीएस अमित कुमार के पक्ष में प्रशासनिक आदेश जारी करें।