भोपालः मध्य प्रदेश में एक नवजात शिशु को 15 वर्षीय उसकी मां और उसके परिवार के सदस्यों ने अपनाने से इनकार कर दिया, जिसके बाद इस बच्ची को अनाथालय में भेजने की संभावना बढ़ गई है। बच्ची की मां बलात्कार पीड़िता है। अधिकारियों ने बताया कि बच्ची का जन्म समय से पहले और दिवाली के दिन हुआ था।
इस 28 दिन की बच्ची को उसके जन्म के बाद चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था। अब उसे मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के ‘किलकारी’ नामक शिशुगृह में स्थानांतरित कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि इंदौर में अपनी मौसी के घर रहने के बाद 15 वर्षीय किशोरी दिवाली के त्योहार के दौरान खंडवा जिला मुख्यालय से 45 किलोमीटर दूर स्थित अपने गांव में लौटी थी।
लेकिन किशोरी के माता-पिता को अपने जीवन में आने वाले इस तूफान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मामले की जांच कर रही इंदौर के लसूड़िया पुलिस थाने की उपनिरीक्षक खुशबू परमार ने बताया, ‘‘दिवाली के दिन (24 अक्टूबर को) घर में साफ-सफाई का काम करने के दौरान सीढ़ियों से गिरने के बाद किशोरी ने पेट में तेज दर्द होने की शिकायत की।’’
उन्होंने कहा कि इसके बाद उसके माता-पिता उसे तुरंत एक स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र ले गए। मेडिकल जांच में पता चला कि उनकी बेटी गर्भवती है और चिकित्सकों ने उसके परिवार को उसे खंडवा जिला अस्पताल ले जाने की सलाह दी। परमार ने बताया कि किशोरी ने अस्पताल ले जाते समय रास्ते में एक बच्ची को जन्म दिया।
उन्होंने कहा कि किशोरी और बच्ची को बाद में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। परमार ने बताया कि किशोरी के परिवार के सदस्यों का कहना है कि उन्हें उसकी गर्भावस्था के बारे में पहले से पता नहीं था और जब चिकित्सकों ने उन्हें बताया तो उन्हें इस बारे में पता चला।
उपनिरीक्षक ने कहा, ‘‘बच्ची को जन्म देने के बाद किशोरी ने पुलिस में इंदौर निवासी 15 वर्षीय एक किशोर के खिलाफ बलात्कार की शिकायत दर्ज कराई।’’ परमार ने बताया कि किशोरी कुछ महीनों से इंदौर के लसूड़िया इलाके में अपनी मौसी के घर पर रही थी और इस अवधि के दौरान पड़ोस में रहने वाले किशोर के साथ उसकी दोस्ती हो गई।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिकायतकर्ता ने उस पर आरोप लगाया कि जब उसकी मौसी और मौसा काम के लिए घर से बाहर गये हुए थे, तभी उसने उसके साथ बलात्कार किया था। उन्होंने कहा कि पुलिस ने किशोरी, आरोपी (किशोर) और नवजात, तीनों के डीएनए नमूने एकत्र किए हैं और उन्हें प्रयोगशाला जांच के लिए भेज दिया है।
पुलिस उपनिरीक्षक ने कहा कि शिकायत के बाद किशोर को भारतीय दंड संहिता और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया। हालांकि, नवजात का भविष्य अधर में लटक गया है क्योंकि उसकी मां और उसके परिवार के सदस्यों ने बच्ची की देखभाल करने से इनकार कर दिया है और वह एक अनिश्चित भविष्य की ओर बढ़ रही है।
उपनिरीक्षक ने कहा, ‘‘किशोरी द्वारा बच्ची को जन्म देने के बाद हमने उसके परिवार के सदस्यों के बयान दर्ज किए। किशोरी और उसके माता-पिता ने बच्ची को नहीं अपनाने की इच्छा जताई और कहा कि उसे अपने पास रखने पर वे समाज का सामना कैसे करेंगे।’’
बाल कल्याण समिति खंडवा के अध्यक्ष विजय सनावा ने कहा, ‘‘लेकिन पीड़िता के माता-पिता अपनी बेटी (किशोरी) को अपने साथ रखने के लिए तैयार हैं।’’ उन्होंने कहा कि चूंकि बच्ची को उसकी मां एवं परिजनों ने अपनाने से मना कर दिया है, इसलिए उसके भविष्य की सुरक्षा के लिए कानूनी कदम उठाए जाएंगे।
सनावा ने कहा, ‘‘चिकित्सकों की निगरानी में अस्पताल में रखे जाने के बाद नवजात बच्ची स्वस्थ है। हम नियम के अनुसार आगे कानूनी कदम उठाने की प्रक्रिया कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि किशोरी और उसके परिवार के सदस्यों को जल्द ही नवजात बच्ची का उनके द्वारा परित्याग किये जाने की कागजी कार्रवाई पूरी करने के लिए बुलाया जाएगा।
सनावा ने कहा, ‘‘हम परिवार के सदस्यों से फिर पूछेंगे कि क्या वे नवजात बच्ची को अपने पास रखना चाहते हैं। यदि वे इनकार करते हैं, तो बच्ची को अनाथालय को सौंपने की कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी।’’ उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद किशोरी और उसके परिवार के पास नवजात बच्ची का दावा करने के लिए और 60 दिन का समय उपलब्ध रहेगा। सनवा ने कहा कि 60 दिन पूरे होने के बाद बच्ची को उपयुक्त कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए गोद लिया जा सकता है।