2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,48,211 मामले, यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश सबसे आगे, एनसीआरबी रिपोर्ट देखिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 30, 2025 17:36 IST2025-09-30T17:34:32+5:302025-09-30T17:36:36+5:30

राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस रिकॉर्ड से संकलित आंकड़े दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय अपराध दर प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 66.2 घटनाएं हैं, जो कि मध्य वर्ष में अनुमानित महिला जनसंख्या अनुमान 6,770 लाख पर आधारित है।

betiyan kahan jayen mahila safe nahi 448211 cases crime against women in 2023 see NCRB report UP, Maharashtra, Rajasthan, West Bengal Madhya Pradesh forefront see figures | 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,48,211 मामले, यूपी, महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश सबसे आगे, एनसीआरबी रिपोर्ट देखिए

सांकेतिक फोटो

Highlightsमामलों में कुल आरोपपत्र दाखिल करने की दर 2023 में 77.6 प्रतिशत रही। महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 83,891 मामले आए।गरिमा भंग करने के 8,823 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 1.3 थी।

नई दिल्लीः राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के करीब 4.5 लाख मामले दर्ज किए गए जो इसके पिछले दो वर्षों की तुलना में मामूली वृद्धि है। वर्ष 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में 4,45,256 और 2021 में 4,28,278 मामलों से अधिक है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस रिकॉर्ड से संकलित आंकड़े दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय अपराध दर प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 66.2 घटनाएं हैं, जो कि मध्य वर्ष में अनुमानित महिला जनसंख्या अनुमान 6,770 लाख पर आधारित है।

इन मामलों में कुल आरोपपत्र दाखिल करने की दर 2023 में 77.6 प्रतिशत रही। राज्यों में, उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 66,381 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद महाराष्ट्र में 47,101, राजस्थान में 45,450, पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए। तेलंगाना प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 124.9 अपराध दर के साथ शीर्ष पर रहा,

जबकि इसके बाद राजस्थान 114.8, ओडिशा 112.4, हरियाणा 110.3 तथा केरल में 86.1 अपराध दर दर्ज की गयी। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के तहत पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे ज़्यादा थे, जिनमें 133,676 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 19.7 रही। महिलाओं के अपहरण और बंधक बनाने के 88,605 मामले दर्ज किए गए और इनकी दर 13.1 रही।

महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से हमला करने के 83,891 मामले आए जबकि बलात्कार के 29,670 मामले दर्ज किए गए। दहेज हत्या के कुल 6,156 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 0.9 थी, आत्महत्या के लिए उकसाने के 4,825 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 0.7 थी, और गरिमा भंग करने के 8,823 मामले दर्ज किए गए, जिनकी दर 1.3 थी।

अठारह वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं से बलात्कार के 28,821 मामले आए और 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से बलात्कार के 849 मामले आए। बलात्कार के प्रयास के 2,796 मामले दर्ज किए गए और 113 मामलों में तेजाब हमले की सूचना मिली। विशेष एवं स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के अंतर्गत महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के कुल 87,850 मामले दर्ज किए गए।

दहेज निषेध अधिनियम, 1961 के अंतर्गत 15,489 मामले दर्ज किए गए, जबकि अनैतिक व्यापार (निवारण) अधिनियम, 1956 के अंतर्गत महिला पीड़ितों से संबंधित 1,788 मामले दर्ज किए गए। घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत 632 मामले दर्ज किए गए।

महिलाओं का अश्लील चित्रण (निषेध) अधिनियम, 1986 के तहत 31 मामले दर्ज किए गए, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत बच्चों से बलात्कार के 40,046 मामले, यौन उत्पीड़न के 22,149 मामले, यौन प्रताड़ना के लिए 2,778 मामले, पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल करने के 698 मामले और कानून के अन्य प्रावधानों के तहत 513 मामले दर्ज किए गए।

पुलिस के निपटारा आंकड़ों से पता चला कि पिछले वर्षों से 185,961 मामले जांच के लिए लंबित थे, जबकि 4,48,211 नए मामले दर्ज किए गए और 987 स्थानांतरित किए गए। इस तरह कुल 635,159 मामले थे। इनमें से 1,82,219 मामलों में आरोप-पत्र दाखिल किए गए, यानी आरोप-पत्र दाखिल करने की दर 77.6 प्रतिशत रही। लंबित मामलों की दर 28.7 प्रतिशत रही। 

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