नवादा नाबालिग रेप केस में राजद विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद, 3 अन्य आरोपियों को 10-10 साल की जेल
By पल्लवी कुमारी | Published: December 21, 2018 04:31 PM2018-12-21T16:31:30+5:302018-12-21T19:24:11+5:30
नवादा रेप केस मामले में लालू यादव के करीबी और राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव के अलावा संदीप सुमन उर्फ पुष्पंजय कुमार, राधा देवी, राधा की बेटी सुलेखा देवी, छोटी उर्फ अर्पिता और टिशु कुमार अभियुक्त बनाए गए थे।
बिहार के नवादा रेप केस मामले में दोषी राजद विधायक राजबल्लभ यादव को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। उम्रकैद की सजा के साथ-साथ पचास हजारा का जुर्माना भी लगाया गया है। बिहार के नवादा में साल 2016 में नाबालिग के साथ रेप के मामले में राजद विधायक राजबल्लभ यादव दोषी पाए गए थे।
पटना सिविल कोर्ट स्थित एमपी-एमएलए कोर्ट ने ये फैसला सुनाया है। राजबल्लभ यादव के साथ-साथ सुलेखा देवी और राधा देवी को उम्र कैद के साथ 20-20 हजार का जुर्माना लगाया गया है। वहीं छोटी कुमारी, टुन्नी कुमारी और संदीप सुमन को 10-10 वर्ष की सजा और 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी गई है।
नवादा रेप केस मामले में पटना कोर्ट ने 15 दिसम्बर को फैसला सुनाते हुए आरजेडी विधायक राजबल्लभ यादव को दोषी करार दिया था और सजा का ऐलान करने के लिए 21 दिसंबर का दिन बताया था। बता दें कि इस केस में लालू यादव के करीबी और राजद के निलंबित विधायक राजबल्लभ यादव के अलावा संदीप सुमन उर्फ पुष्पंजय कुमार, राधा देवी, राधा की बेटी सुलेखा देवी, छोटी उर्फ अर्पिता और टिशु कुमार अभियुक्त बनाए गए थे।
2016 Nawada minor rape case: Convicted Bihar RJD leader Raj Ballabh Yadav sentenced to life imprisonment and fined Rs 50,000.
— ANI (@ANI) December 21, 2018
नवादा रेप केस मामला
2016 में नालंदा की एक नाबालिग लड़की को नवादा ले जाकर रेप किया गया था। रेप की ये घटना नवादा में राजबल्लभ यादव के चार मंजिला मकान में हुई थी। इसके बाद बिहारशरीफ महिला थाने में दुष्कर्म की प्राथमिकी 9 फरवरी 2016 को दर्ज हुई थी। पीड़िता ने इसका आरोप विधायक राजबल्लभ यादव पर लगाया। इस मामले में राजबल्लभ यादव जेल में हैं।
बिहार पुलिस ने मामले में आरोप पत्र 20 अप्रैल 2016 को दायर किया था जबकि अदालत ने संज्ञान 22 अप्रैल 2016 को लिया था। अदालत ने आरोपितों के खिलाफ 6 सितंबर 2016 को आरोप गठित किए थे। बिहारशरीफ कोर्ट में गवाही 15 सितंबर 2016 को शुरू हुई थी और बहस भी पूरी हो गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के मामले में आदेश और एमपी-एमएलए कोर्ट के गठन के बाद सारे रिकॉर्ड ट्रायल के लिए पटना में विशेष कोर्ट को भेज दिए गए थे।