ब्रोंको टेस्ट क्या है? टीम इंडिया ने पेश किया नया फिटनेस बेंचमार्क, ये 5 खिलाड़ी इसमें हो सकते हैं अच्छे अंकों से पास

ब्रोंको टेस्ट एक रनिंग ड्रिल है, जिसका इस्तेमाल रग्बी और अन्य खेलों में सहनशक्ति, गति और मानसिक शक्ति की जाँच के लिए किया जाता है। यह सरल लेकिन कठिन है। खिलाड़ी 20, 40 और 60 मीटर की दूरी पर तीन मार्करों के बीच शटल चलाते हैं।

By रुस्तम राणा | Updated: August 21, 2025 14:54 IST

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नई दिल्ली: यो-यो टेस्ट अब टीम इंडिया के लिए एकमात्र फिटनेस मानदंड नहीं रहा। मुख्य कोच गौतम गंभीर ने स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स के साथ मिलकर खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए एक और ऊँचा मानक तय किया है। खिलाड़ियों को अब यो-यो टेस्ट और 2-किमी टाइम ट्रायल के मौजूदा मानदंडों के अलावा ब्रोंको टेस्ट भी पास करना होगा।

ब्रोंको टेस्ट क्या है?

ब्रोंको टेस्ट एक रनिंग ड्रिल है, जिसका इस्तेमाल रग्बी और अन्य खेलों में सहनशक्ति, गति और मानसिक शक्ति की जाँच के लिए किया जाता है। यह सरल लेकिन कठिन है। खिलाड़ी 20, 40 और 60 मीटर की दूरी पर तीन मार्करों के बीच शटल चलाते हैं। वे पहले 60 मीटर दौड़कर वापस आते हैं, फिर 40 मीटर दौड़कर वापस आते हैं और अंत में 20 मीटर दौड़कर वापस आते हैं। इस तरह एक सेट बनता है।

एक पूर्ण परीक्षण में पाँच सेट होते हैं, इसलिए कुल दूरी 1,200 मीटर होती है। चुनौती यह है कि बिना रुके जितनी जल्दी हो सके दौड़ पूरी करें। यह परीक्षण इसलिए लोकप्रिय है क्योंकि यह रग्बी में दिखाई देने वाली तेज़ दौड़ और अचानक दिशा परिवर्तन की नकल करता है। न्यूज़ीलैंड ऑल ब्लैक्स जैसी शीर्ष टीमें इसे फिटनेस के एक प्रमुख माप के रूप में इस्तेमाल करती हैं। दिलचस्प बात यह है कि क्रिकेट में भी खिलाड़ियों के लिए ऐसी ही फुर्ती की आवश्यकता होती है।

शीर्ष रग्बी खिलाड़ी अक्सर इसे 4 मिनट 30 सेकंड से कम समय में पूरा करने का लक्ष्य रखते हैं। मनोरंजन के लिए खेलने वाले खिलाड़ियों को आमतौर पर अपनी फिटनेस के स्तर के आधार पर ज़्यादा समय लगता है।

ब्रोंको टेस्ट में सफल होने की संभावना वाले 5 भारतीय खिलाड़ी

1. विराट कोहली: विराट स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कार्डियो, HIIT और रोज़ाना स्प्रिंट अभ्यास के साथ एक सख्त दिनचर्या का पालन करते हैं। उनका वज़न लगभग 75 किलो है।

2. केएल राहुल: राहुल मैदान पर ज़बरदस्त फुर्ती और तेज़ी दिखाते हैं। वह तेज़ी से सिंगल रन लेते हैं और तेज़ रिफ़्लेक्स के साथ फ़ील्डिंग करते हैं। उन्होंने अपनी मज़बूत सहनशक्ति साबित की है।

3. हार्दिक पांड्या: विस्फोटक शक्ति के लिए जाने जाने वाले पांड्या, कड़ी मेहनत से अपनी ताकत और सहनशक्ति बढ़ाते हैं। यह उनकी तेज़ रनों और ऊँची स्ट्राइक रेट में झलकता है।

4. शुभमन गिल: गिल स्क्वैट्स और डेडलिफ्ट्स जैसे कंपाउंड लिफ्ट्स, HIIT सेशन और एजिलिटी ड्रिल्स के साथ ट्रेनिंग करते हैं। वह आइस बाथ जैसे तरीकों से रिकवरी पर भी ध्यान देते हैं। यही वजह है कि वह ब्रोंको जैसे टेस्ट के लिए उपयुक्त हैं।

5. रवींद्र जडेजा: अपनी एथलेटिक फील्डिंग के लिए मशहूर, 'सर' जडेजा तेज़ रिफ्लेक्स और अद्भुत सहनशक्ति दिखाते हैं। सिंगल्स को डबल्स में बदलने की उनकी क्षमता उनकी गति और सहनशक्ति को दर्शाती है, जो ब्रोंको टेस्ट की ज़रूरतों के अनुरूप है।

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