नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 2011 में 28 सालों बाद वर्ल्ड कप की ट्रॉफी अपने नाम की थी। वर्ल्ड कप 2011 कई मायनों में महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और विराट कोहली के लिए खास है। दरअसल, यह टूर्नामेंट जहां एक ओर तेंदुलकर के लिए आखिरी वर्ल्ड कप था तो वहीं कोहली ने बतौर अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अपना पहला वर्ल्ड कप खेला था। मगर इस दौरान सबसे खास बात ये रही कि वर्ल्ड कप 2011 के समय कोहली ने टीम के सीनियर खिलाड़ी तेंदुलकर को एक अनमोल तोहफा दिया था।
यह अनमोल तोहफा कुछ और नहीं बल्कि कोहली के पिता द्वारा उनको दिया हुआ एक 'पवित्र धागा' था। वहीं, अब इस बारे में बात करते हुए तेंदुलकर ने कहा कि वह उनके लिए काफी भावुक लम्हा था जब विराट कोहली ने उनके पिता प्रेम कोहली द्वारा दिए गए इस खास पवित्र धागे को उन्हें दिया था। विराट का ये गिफ्ट मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के दिल को छू लेने वाला था। अमेरिकी पत्रकार ग्राहम बेंसिंगर से बातचीत के दौरान तेंदुलकर ने एक बार फिर इस लम्हे को याद करते हुए इसके बारे में बात की।
सचिन तेंदुलकर ने बेंसिंगर को बताया, "मुझे अभी भी यह याद है। मैं चेंजिंग रूम में बस लौटा ही था और मेरी आंखों में आंसू थे। तब तक मुझे पता था कि हां, मैं संन्यास लेने जा रहा हूं लेकिन जब वह गेंद हो गई तो मैंने खुद से कहा ठीक है, बस। अपने जीवन में कभी भी आप भारत के लिए एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी के रूप में मैदान पर नहीं उतरेंगे।" अपनी बात को जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि तब वो ये सोचकर चेंजिंग रूम के एक कोने में बैठकर अपने आंसू पोछ रहे थे कि तभी कोहली उनके पास आए उनको वो पवित्र धागा दिया जो कोहली के पिता ने उन्हें दिया था।
सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा, "मैंने उसे थोड़ी देर के लिए रखा, लेकिन बाद में उसे वापस लौटा दिया। मैंने इसे वापस करते हुए कोहली से कहा कि यह अमूल्य है। यह आपके साथ रहना चाहिए क्योंकि यह आपका है और किसी और का नहीं है। आपको इसे अपनी अंतिम सांस तक पास में रखना चाहिए। इसलिए मैंने उसे वापस दे दिया। तो वह एक भावनात्मक क्षण था, कुछ ऐसा जो हमेशा मेरी याद में हमेशा मेरे साथ रहेगा।"
वहीं, करीब दो साल पहले इसी शो के दौरान विराट कोहली ने सचिन तेंदुलकर के साथ हुए इस खास पल के बारे में बात की थी। इस दौरान उन्होंने बताया था कि उस विशेष क्षण में धागा उनके पास सबसे खास था और तेंदुलकर के प्रति उनके सम्मान व प्रशंसा के संकेत के रूप में उन्होंने इसे पेश किया, जिसके लिए उन्हें कोई संकोच नहीं हुआ था।