Virat Kohli retires from Test cricket: विराट कोहली के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास के साथ ही अब सचिन तेंदुलकर का सौ अंतरराष्ट्रीय शतकों का रिकॉर्ड टूट पाना भी मुश्किल लग रहा है चूंकि अब सिर्फ वनडे प्रारूप में ही खेलने वाले कोहली इससे 18 शतक दूर हैं। तेंदुलकर के सौ शतक पूरे होने के बाद 2012 में एक सम्मान समारोह में जब उनसे पूछा गया कि उनका रिकॉर्ड कौन तोड़ सकता है तो उन्होंने बेहिचक दो नाम लिये थे ,‘विराट कोहली और रोहित शर्मा।’ दोनों ने इसकी उम्मीदें भी अपने शानदार टेस्ट करियर से जगाई थी लेकिन पिछले एक सप्ताह के भीतर रोहित और विराट दोनों ने पारंपरिक प्रारूप से विदा ले ली। पिछले साल दोनों ने टी20 क्रिकेट को अलविदा कह दिया था और अब सिर्फ एक दिवसीय प्रारूप खेलेंगे ।
तेंदुलकर ने 200 टेस्ट में 51 और 463 वनडे में 49 शतक बनाये थे। वहीं कोहली ने 123 टेस्ट में 30, 302 वनडे में 51 और 125 टी20 मैचों में एक शतक बनाया है और सर्वाधिक शतक बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में वह दूसरे स्थान पर हैं । पूर्व कप्तान रोहित ने टेस्ट में 12, वनडे में 32 और टी20 में पांच समेत कुल 49 शतक लगाये हैं।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक शतक जड़ने वाले बल्लेबाजों की सूची में तेंदुलकर और कोहली के बाद आस्ट्रेलिया के रिकी पोंटिंग (71) , श्रीलंका के कुमार संगकारा (63) , दक्षिण अफ्रीका के जाक कैलिस (62) और हाशिम अमला (55), श्रीलंका के माहेला जयवर्धने (54) क्रिकेट को अलविदा कह चुके हैं ।
कोहली के समकालीन इंग्लैंड के जो रूट (53), आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ (48) और न्यूजीलैंड के केन विलियमसन (48) भी करियर की ढलान पर हैं और उनके भी शतकों के शतक तक पहुंचने की संभावना नहीं हैं । 36 वर्ष के कोहली की बात करें तो उनकी 2027 में दक्षिण अफ्रीका, जिम्बाब्वे और नामीबिया में होने वाले एक दिवसीय विश्व कप में खेलने की प्रबल संभावना है । उससे पहले भारत को 27 वनडे ही खेलने हैं जिनमें बांग्लादेश के खिलाफ अगस्त सितंबर में तीन मैचों की श्रृंखला शामिल है ।
एशिया कप के बाद अक्तूबर नवंबर में आस्ट्रेलिया में तीन वनडे मैचों की श्रृंखला खेली जायेगी । इसके बाद नवंबर दिसंबर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ तीन मैचों की वनडे सीरीज खेलनी है। इनके अलावा न्यूजीलैंड, अफगानिस्तान, वेस्टइंडीज, न्यूजीलैंड और श्रीलंका से भी एक दिवसीय सीरीज खेलनी हैं। इनमें देखना होगा कि कोहली विश्व कप से पहले कितनी द्विपक्षीय सीरीज खेलते हैं और प्रदर्शन कैसा रहता है।
ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों जैसे तेवर वाले गैर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर कोहली: चैपल
ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज ग्रेग चैपल ने कहा कि विराट कोहली का टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेना ‘एक शानदार युग का अंत है’। भारत के पूर्व मुख्य कोच चैपल ने ‘ईएसपीएनक्रिकइन्फो’ के लिए अपने कॉलम में कहा कि कोहली ने भारत की क्रिकेट पहचान पर सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव डालने के मामले में सचिन तेंदुलकर को पीछे छोड़ दिया।
उन्होंने कॉलम में लिखा कि कोहली का टेस्ट करियर 2011 में शुरू हुआ और उनका एक दशक से अधिक लंबा करियर संयम, जोश और निडरता से भरा हुआ था। चैपल ने लिखा, ‘‘कोहली के संन्यास से सचिन तेंदुलकर के बाद भारतीय क्रिकेट में सबसे अधिक परिवर्तनकारी खिलाड़ी का अध्याय खत्म होता है।
शायद कोहली भारत की क्रिकेट पहचान पर सांस्कृतिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव के मामले में उनसे भी आगे निकल गए। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक दशक से भी अधिक समय तक कोहली ने सिर्फ रन ही नहीं बनाए बल्कि उम्मीदों को फिर से परिभाषित किया, परंपराओं को चुनौती दी और 21वीं सदी के आत्मविश्वासी भारत का प्रतीक बने। ’’
चैपल ने लिखा, ‘‘हमने जो गैर आस्ट्रेलियाई क्रिकेटर देखे हैं, उनमें उनके तेवर ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटरों की तरह हैं। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह टेस्ट में एक योद्धा थे, कभी भी एक इंच भी पीछे नहीं हटते थे। ’’ चैपल ने कहा, ‘‘एक समय था जब भारतीय क्रिकेट विशेष तौर पर विदेशों में आसानी से घुटने टेक देता था लेकिन यह धीरे-धीरे बदल गया।
सौरव गांगुली ने भारतीय क्रिकेट को नयी रीढ़ दी। एमएस धोनी की शानदार नेतृत्व क्षमता से सफेद गेंद के क्रिकेट में भारत ने दबदबा बनाया। लेकिन कोहली ने इसे ऊर्जा दी। उन्होंने नयी पटकथा लिखी जिसमें भारत सिर्फ विदेशों में प्रतिस्पर्धी ही नहीं हुआ बल्कि उससे जीत की भी उम्मीद की जाती। ’’ कप्तान के तौर पर भारत के टेस्ट दृष्टिकोण को अकेले ही बदलने का श्रेय कोहली को देते हुए चैपल ने उन्हें असाधारण रूप से समझदार व्यक्ति बताया। उन्होंने कहा, ‘‘जहां अन्य लोग प्रतिक्रिया करते, कोहली पहले से ही अनुमान लगा लेते।
पारी के शुरू होने से पहले ही उसे भांप लेते और दबाव आने से पहले ही इससे निपट लेते। ’’ चैपल ने कहा, ‘‘तेंदुलकर ‘जीनियस’ थे। धोनी एक ‘कुशल रणनीतिकार’ और ‘फिनिशर’ थे। लेकिन भारतीय क्रिकेट इतिहास के इतिहास में कोहली सबसे प्रभावशाली खिलाड़ी रहे। क्यों? क्योंकि उन्होंने बस परिणाम ही नहीं बल्कि मानसिकता बदली। ’’