बिहार में ब्लैक फंगस से अब तक 76 की मौत, 333 मरीज उपचाराधीन

By भाषा | Published: June 13, 2021 10:40 PM

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पटना, 13 जून बिहार में ब्लैक फंगस संक्रमण से रविवार तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि इस रोग से ग्रसित 333 मरीज इलाजरत हैं। स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी।

विभाग के मुताबिक, बिहार में ब्लैक फंगस (काला कवक) के अबतक 562 मामले प्रकाश में आए हैं जिनमें से आठ मामले पिछले 24 घंटे के भीतर सामने आए हैं। राज्य में ब्लैक फंगस से पीड़ित 153 मरीज अबतक ठीक हुए, जिनमें पिछले 24 घंटे के भीतर ठीक हुए चार मरीज भी शामिल हैं। इससे पीड़ित 76 मरीज की अबतक मौत हो चुकी है जिनमें पिछले 24 घंटों के दौरान तीन मरीजों की मौत हुई है।

पटना एम्स के कोविड प्रभारी डॉक्टर संजीव कुमार ने बताया कि उनके अस्पताल में ब्लैक फंगस के अबतक 148 मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें से वर्तमान में 114 इलाजरत हैं।

पटना शहर स्थित इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के अधीक्षक डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि उनके अस्पताल में ब्लैक फंगस के अबतक 186 मरीज भर्ती हुए हैं, जिनमें से वर्तमान में 114 इलाजरत हैं।

उन्होंने बताया कि 12 जून को आईजीआईएमएस में एक बुजुर्ग मरीज के मस्तिष्क का सफल ऑपरेशन कर ब्लैक फंगस को निकाला गया।

इस ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले आईजीआईएमएस के न्यूरो सर्जन डॉक्टर ब्रजेश कुमार ने बताया कि जमुई के रहने वाले अनिल कुमार (60) को दौरा पड़ रहा था। वह बेहोश हुए जा रहे थे, जिसके कारण उनकी स्थिति गंभीर थी।

उन्होंने बताया कि अनिल कुमार के मस्तिष्क में दो सप्ताह में ही ब्लैक फंगस इतना बड़ा हो गया। दो सप्ताह पूर्व उन्हे परेशानी हुई थी, जिसके बाद परिजन उनका इलाज घर पर ही करा रहे थे। जब वह आईजीआईएमएस लेकर आये तो पता चला कि ब्लैक फंगस है। मस्तिष्क में जाल बनाने वाले इस फंगस के कारण मरीज को मिग्री आ रही थी और वह बेहोशी की हालत में था।

डॉक्टर ब्रजेश ने बताया कि चिकित्सकों की टीम ने तत्काल ऑपरेशन करने का निर्णय लिया। उन्होंने बताया कि आईजीआईएमएस के डॉक्टरों ने तीन घंटे लंबे ऑपरेशन में मरीज के मस्तिष्क से क्रिकेट की बॉल से भी बड़े आकार का ब्लैक फंगस निकाला है। फिलहाल, मरीज खतरे से बाहर है।

उन्होंने बताया कि यह ऑपरेशन काफी जटिल था क्योंकि मस्तिष्क में ब्लैक फंगस ने काफी जाल फैला लिया था। ब्लैक फंगस नाक और आंखों को थोड़ा छूते हुए मस्तिष्क में आगे की तरफ पहुंच गया था जहां यह तेजी से फैल गया था।

डॉक्टर मनीष मंडल ने बताया कि मरीज अनिल कुमार की आंखे बच गई हैं क्योंकि फंगस से आंखों को अधिक नुकसान नही पहुंचा। नाक के रास्ते फंगस मस्तिष्क में पहुंचा है। अमूमन ब्लैक फंगस मस्तिष्क तक पहुंचने से पहले आंखों को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ है।

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