निरंजन शाह ने साधा शशांक मनोहर पर निशाना, बोले- भारतीय क्रिकेट को कितना नुकसान पहुंचाया आकलन करें

शशांक मनोहर का आईसीसी के पहले स्वतंत्र चेयरमैन के रूप में कार्यकाल खत्म हो गया है...

By भाषा | Published: July 02, 2020 4:04 PM

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ठळक मुद्देशशांक मनोहर ने आईसीसी चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया।बीसीसीआई) के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने साधा निशाना।मनोहर आकलन करें कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को ‘किस तरह का नुकसान’ पहुंचाया: शाह

भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व सचिव निरंजन शाह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के पूर्व चेयरमैन शशांक मनोहर पर निशाना साधते हुए उनसे अपील की है कि वह समय निकालकर आकलन करें कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट को ‘किस तरह का नुकसान’ पहुंचाया है।

मनोहर ने दो साल के दो कार्यकाल के बाद बुधवार को अपना पद छोड़ दिया था क्योंकि उन्हें अहसास हो गया था कि बहुमत में लोग उनके तीसरे कार्यकाल के खिलाफ होंगे। बीसीसीआई का इतने वर्षों तक मानना रहा है कि मनोहर ने ‘बिग थ्री’ मॉडल को रद्द करवाने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें राजस्व का अधिकांश हिस्सा इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और भारत की झोली में जाता था।

पेशे से वकील शशांक मनोहर इससे पहले 2008 से 2011 तक बीसीसीआई के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

बीसीसीआई के सचिव रहे शाह ने बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष के संदर्भ में बयान जारी करके कहा, ‘‘शशांक जी को मिश्रित अहसास होगा कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए वह क्या कर सकते थे और उनके कार्यकाल के दौरान भारत में क्रिकेट के साथ क्या हुआ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘अब वह आईसीसी चेयरमैन के रूप में अपने कार्यकाल का आकलन कर सकते हैं और बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में भी जो उनके लिए मंच था। वह आकलन कर सकते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान भारतीय क्रिकेट और बीसीसीआई को क्या नुकसान पहुंचा।’’

शशांक मनोहर 2 कार्यकाल तक आईसीसी अध्यक्ष रहे।

शाह का मानना है कि बीसीसीआई के मौजूदा नेतृत्व से बोर्ड को आईसीसी में मजबूत, फायदेमंद और रचनात्मक प्रतिनिधित्व मिलेगा। उन्होंने कहा, ‘‘बीसीसीआई को पिछले कुछ वर्षों में मुश्किलों का सामना करना पड़ा और इन वर्षों में आईसीसी ने स्थिति का फायदा उठाकर भारत में क्रिकेट और बीसीसीआई को हर संभावित तरीके से नुकसान पहुंचाया। हालांकि मुझे पूरा यकीन है कि बीसीसीआई का मौजूदा नेतृत्व का आईसीसी में मजबूत, फायदेमंद और रचनात्मक प्रतिनिधित्व होगा।’’

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