Highlightsरणजी ट्रॉफी 2023 में बड़े बदलाव देखने को मिलेगा। बीसीसीआई की अंपायरिंग परीक्षा पास करने के बाद भी वह सेंटर-स्क्वायर पर बनी रहीं।महिला अंपायर पुरुष क्रिकेट मैच में मैदानी अंपायर के रूप में काम करेंगी।
Ranji Trophy 2023: रणजी ट्रॉफी 2023 में बड़े बदलाव देखने को मिलेगा। वृंदा राठी मुंबई के मैदानों में एक स्कोरर थीं, लेकिन न्यूजीलैंड के अंतरराष्ट्रीय अंपायर कैथी क्रॉस के साथ एक मुलाकात ने उन्हें 22 गज की दूरी पर कदम रखने के लिए प्रेरित किया।
चेन्नई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर जननी नारायणन ने अपनी नौकरी छोड़ दी, जब तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन (टीएनसीए) ने अंपायरों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे। कंधे की चोट ने पेशेवर क्रिकेटर बनने के गायत्री वेणुगोपालन के सपने को चकनाचूर कर दिया, लेकिन बीसीसीआई की अंपायरिंग परीक्षा पास करने के बाद भी वह सेंटर-स्क्वायर पर बनी रहीं।
इस सत्र में रणजी ट्रॉफी मैचों में मैदान पर अंपायरिंग करेंगीं, जिसमें भारतीय बोर्ड पुरुषों के घरेलू सर्किट में महिला अंपायरों का चयन करने का फैसला किया। रणजी ट्रॉफी के दौरान भारतीय क्रिकेट में एक नई पहल की शुरुआत होगी जब तीन महिला अंपायर वृंदा राठी, जननी नारायणन और गायत्री वेणुगोपालन अंपायरिंग करती हुई नजर आएंगी।
भारतीय क्रिकेट में यह पहला अवसर होगा जबकि महिला अंपायर पुरुष क्रिकेट मैच में मैदानी अंपायर के रूप में काम करेंगी। गायत्री पूर्व में रणजी ट्रॉफी में रिजर्व यानी चौथे अंपायर की भूमिका निभा चुकी हैं। रणजी ट्रॉफी 13 दिसंबर से शुरू हो रही है और संयोग से इसी दौरान भारतीय महिला क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू सीरीज में भाग लेगी।
ऐसे में इन तीन महिला अंपायरों को रणजी ट्रॉफी में चुनिंदा मैचों में ही अंपायरिंग का मौका मिल पाएगा। चेन्नई की रहने वाली नारायण और मुंबई की रहने वाली राठी मंझी हुई अंपायर हैं और उन्हें 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के अंपायरों के विकास पैनल में शामिल किया गया था।
जननी और वृंदा के साथ दिल्ली की रहने वाली गायत्री भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) के पैनल में शामिल तीन पंजीकृत महिला अंपायर हैं। बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा कि इन तीनों महिला अंपायर के लिए पुरुष खिलाड़ियों से निपटना बड़ी चुनौती होगी। रणजी ट्रॉफी में काफी कुछ दांव पर लगा होता है और मैदान पर खिलाड़ी अपनी आक्रामकता दिखा सकते हैं।
बीसीसीआई अधिकारी ने कहा,‘‘ अंपायर के रूप में आप मैदान पर नरम रवैया नहीं अपना सकते हैं अन्यथा खिलाड़ी आपको डराने का प्रयास करेंगे। आपको सख्त रवैया अपनाना होगा और नियमों को अच्छी तरह से लागू करना होगा। खिलाड़ियों के साथ संवाद महत्वपूर्ण होता है।
लेकिन ये तीनों अंपायर अच्छा काम कर रही हैं और उम्मीद है कि वे रणजी ट्रॉफी में भी अच्छा काम करेंगी।’’ बत्तीस वर्षीय राठी ने मुंबई के मैदानों में अपनी अंपायरिंग निखारी जबकि 36 वर्षीय नारायण ने अंपायरिंग के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़ दी थी। वेणुगोपालन 43 साल की है और उन्होंने बीसीसीआई परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद 2019 में अंपायरिंग शुरू की थी।
महिला अंपायरिंग के मामले में बीसीसीआई को अभी बहुत कुछ करना है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में पुरुष क्रिकेट में महिलाएं पहले ही अंपायरिंग का जिम्मा संभाल चुकी हैं। बीसीसीआई के 150 पंजीकृत अंपायरों में केवल तीन महिला अंपायर शामिल हैं।
बीसीसीआई अधिकारी ने कहा,‘‘ रणजी ट्रॉफी में हम उनके मैचों के लिए योजना नहीं बना सकते हैं लेकिन हम उनकी उपलब्धता के अनुसार उन्हें मैच देंगे। ऑस्ट्रेलिया की महिला टीम भारत आ रही है और उसके बाद न्यूजीलैंड ए टीम का दौरा होगा। इसके अलावा घरेलू महिला क्रिकेट भी है। हमें उसमें भी उनकी जरूरत पड़ेगी।’’
(इनपुट एजेंसी)