अंबानी सुरक्षा-हिरन हत्या मामले में एनआईए ने पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को गिरफ्तार किया

By भाषा | Updated: June 17, 2021 21:41 IST

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मुंबई, 17 जून राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने ‘एंटीलिया’ के सामने वाहन में विस्फोटक रखने और व्यवसायी मनसुख हिरन की हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के लिए पूर्व ‘‘मुठभेड़ विशेषज्ञ’’ पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को मुंबई में बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया और दावा किया कि शर्मा और सचिन वाजे के इशारे पर हिरन की हत्या एक ‘‘बड़े षड्यंत्र’’ के तहत की गई।

शर्मा पुलिस विभाग के पांचवें व्यक्ति हैं जिन्हें एनआईए ने इस मामले में गिरफ्तार किया है। मामले में अभी तक दस लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘एनआईए की टीम ने शर्मा को बुधवार की देर रात मुंबई के नजदीक लोनावाला के अंबे वैली से पकड़ा और उन्हें पूछताछ के लिए दक्षिण मुंबई स्थित एजेंसी के कार्यालय में लाया गया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘एनआईए ने मुंबई के अंधेरी (पश्चिम) में जे बी नगर स्थित उनके आवास पर सुबह छह बजे छापेमारी भी की और अभियान कई घंटे तक चला। अधिकारियों ने उनके आवास से कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए।’’ उन्होंने कहा कि कुछ घंटे तक पूछताछ के बाद एनआईए ने बृहस्पतिवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

उन्होंने बताया कि एनआईए ने मामले के सिलसिले में मुंबई के मलाड से सतीश उर्फ तन्नी भाई उर्फ विक्की बाबा और मनीष सोनी को भी गिरफ्तार किया है। उन्हें यहां विशेष अदालत में पेश किया गया जिसने उन्हें 28 जून तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया।

विशेष लोक अभियोजक सुनील गोंजाल्विस ने अदालत में उनकी हिरासत की मांग करते हुए कहा कि एनआईए ने 11 जून को उपनगर मलाड से संतोष शेलार और आनंद जाधव को लातूर से गिरफ्तार किया था और उनसे पूछताछ के आधार पर शर्मा के खिलाफ ‘‘ठोस साक्ष्य’’ मिले।

एनआईए ने अदालत में कहा कि सतीश और सोनी ने लाल रंग की टवेरा कार में हिरन की हत्या की जबकि शेलार और जाधव भी वहां मौजूद थे। बाद में शव को एक क्रीक के पास फेंक दिया गया। इसने कहा कि चार मार्च को हिरन की हत्या के बाद ‘‘हत्यारों’’ ने वाजे और शर्मा को फोन किया।एनआईए ने कहा कि कार से बरामद डीएनए नमूनों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।

एनआईए के कर्मियों ने शर्मा एवं अन्य आरोपियों से काफी मात्रा में नकदी बरामद की। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि शर्मा के घर पर छापेमारी में उसने बिना लाइसेंस वाला रिवॉल्वर और गोलियां बरामद कीं। अभियोजक गोंजाल्विस ने कहा, ‘‘शर्मा पहले पुलिस में थे लेकिन बिना लाइसेंस की रिवॉल्वर के साथ घूमते हैं। हत्यारों ने उन्हें फोन क्यों किया?’’

न्यायाधीश ने जब शर्मा से पूछा कि वह कुछ कहना चाहते हैं तो शर्मा ने कहा कि उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर वास्तव में मैं शामिल होता तो क्या मैं अपने घर में सो रहा होता? मैं सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी हूं।’’

शर्मा ने कहा कि वह केवल संतोष शेलार को जानते हैं जो 12 वर्षों तक उनको ‘‘सूचना’’ देता रहा था। उन्होंने कहा, ‘‘इन दो लोगों को मैं नहीं जानता...वाजे और मेरे बीच फोन पर बात नहीं हुई। पुलिस बल में गुटबाजी है और मुझे फंसाया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं शिवसेना का सदस्य हूं और लोगों के सहयोग के लिए फाउंडेशन चलाता हूं। सामाजिक कार्यकर्ता होने के कारण कई लोग मेरे पास आते हैं... वे मेरे साथ फोटो खिंचाते हैं और सोशल मीडिया पर डालते हैं लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि मैं उन्हें जानता हूं।’’

विशेष न्यायाधीश पी पी सितरे ने जिरह सुनने के बाद शर्मा एवं दो अन्य आरोपियों को एनआईए की हिरासत में भेज दिया। मामले में शर्मा का नाम आने के बाद एनआईए ने करीब दो महीने पहले उनसे अपने कार्यालय में दो दिनों तक पूछताछ की थी।

एजेंसी पहले पुलिस अधिकारी सचिन वाजे, रियाजुद्दीन काजी, सुनील माने को गिरफ्तार कर चुकी है। गिरफ्तारी के बाद उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। एजेंसी ने पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे को भी इस सिलसिले में क्रिकेट सटोरिया नरेश गोर के साथ गिरफ्तार किया था।

इस वर्ष 25 फरवरी को दक्षिण मुंबई में अंबानी के आवास ‘एंटीलिया’ के बाहर विस्फोटक रखा एक एसयूवी वाहन खड़ा पाया गया था। ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन ने दावा किया था कि वाहन उनका था, जो पांच मार्च को मुंब्रा क्रीक के पास मृत पाए गए थे।

शर्मा ठाणे पुलिस में फिरौती रोधी प्रकोष्ठ में तैनात थे और 2019 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी।

शर्मा 1983 बैच के पुलिस अधिकारी थे और पुलिस बल में सेवा के दौरान उन्होंने 100 से अधिक अपराधियों को ‘‘मुठभेड़’’ में मारा था। बहरहाल, अंडरवर्ल्ड से संबंधों के आरोप में अगस्त 2008 में उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। महाराष्ट्र प्रशासनिक अधिकरण (एमएटी) के आदेश के बाद मई 2009 में उन्हें फिर से बहाल कर दिया गया।

शर्मा को 2006 में वर्सोवा में लखन भैया कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में 2010 में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने इस मामले में लगभग चार वर्ष जेल में बिताए और जुलाई 2013 में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया। 2017 में उन्हें फिर से पुलिस बल में शामिल कर लिया गया, लेकिन दो वर्ष बाद उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली। उन्होंने नालासोपारा से शिवसेना के टिकट पर विधानसभा चुनाव भी लड़ा लेकिन हार गए।

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