मलाला यूसुफजई पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के आला अधिकारी के साथ विवाह बंधन में बंधी

By भाषा | Updated: November 10, 2021 13:54 IST

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लंदन/कराची, 10 नवंबर नोबेल पुरस्कार विजेता और लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाने वाली पाकिस्तानी अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के एक आला अधिकारी के साथ ब्रिटेन में विवाह बंधन में बंध गईं।

यूसुफजई (24) ने ट्वीट करके यह जानकारी दी और पति असर मलिक और परिवार के साथ निकाह की कुछ तस्वीरें भी उन्होंने ट्विटर पर साझा कीं। हल्के गुलाबी रंग के सूट और कुछ आभूषण पहने यूसुफजई मलिक के साथ बर्मिंघम के अपने मकान में निकाह की औपचारिकताएं पूरी करती नजर आईं। मलिक छुट्टियां बिताने वहां गए हैं।

मलिक पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के ‘हाई परफॉर्मेंस सेंटर’’ के महा प्रबंधक हैं।

यूसुफजई ने ट्वीट किया, ‘‘आज मेरी जिंदगी का बेहद अनमोल दिन है। मैं और असर जिंदगी भर के साथी बन गए हैं। हमने अपने परिवारों की मौजूदगी में बर्मिंघम में निकाह की। बराए मेहरबानी हमें दुआएं दें। हम आगे का रास्ता साथ मिलकर तय करने के लिए उत्साहित हैं।’’

यूसुफजई और मलिक की मुलाकात दो वर्ष पूर्व हुई थी और तबसे वे एक दूसरे के साथ संपर्क में थे और बाद में उन्होंने अपने परिवारों की रजामंदी से निकाह करने का फैसला किया।

पीसीबी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक मलिक क्रिकेट बोर्ड के आला अधिकारी हैं। वह लाहौर में दो वर्ष पहले पीसीबी के ‘हाई परफॉर्मेंस सेंटर’में प्रबंधक के पद पर नियुक्त हुए थे। सूत्रों ने कहा, ‘‘लेकिन कड़ी मेहनत और उनके परिणामों के चलते मलिक को प्रोन्नत करके महा प्रबंधक बनाया गया।’’

हाल में अंतरराष्ट्रीय फैशन मैग्जीन पर विवाह पर की गई यूसुफजई की टिप्पणियों से विवाद पैदा हो गया था।

जून में वोग मैग्जीन को दिए साक्षात्कार में यूसुफजई ने कहा था कि वह इस बात को लेकर पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं कि वह कभी विवाह भी करेंगी।

उन्होंने कहा था,‘‘ मुझे अब भी समझ नहीं आता कि लोगों को शादी क्यों करनी होती है। अगर आप चाहते हैं कि अपके जीवन में कोई हो, तो इसके लिए शादी के कागजात पर हस्ताक्षर क्यों करने हैं, यह महज एक साझेदारी क्यों नहीं हो सकती?’’

गौरतलब है कि पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता यूसुफजई को लड़कियों की शिक्षा के लिए बिना किसी खौफ के आवाज उठाने के लिए स्वात घाटी में 2012 में तालिबान आतंकवादियों ने उस वक्त गोलियां मारी थीं, जब वह स्कूल से घर लौट रही थीं। बेहतर इलाज के लिए यूसुफजई को इंग्लैंड के शहर बर्मिंघम लाया गया था। ठीक होने के बाद यूसुफजई ने फिर से स्कूल जाना शुरू किया और जून 2020 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड से स्नातक किया। इस दौरान भी वह लड़कियों की शिक्षा और उनकी बेहतरी के लिए आवाज उठाती रहीं।

मजह सत्रह साल की उम्र में यूसुफजई को नोबेल का शांति पुरस्कार प्रदान किया गया था और इसी के साथ वह सबसे कम उम्र में यह पुरस्कार पाने वाली शख्स बन गई थीं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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