वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया चाहती है खास पिच, BCCI ने राजकोट भेजा अपना क्यूरेटर

बीसीसीआई ने पिच तैयार करने के लिए अपने चीफ पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह को राजकोट भेजा है, जो राजकोट के पिच क्यूरेटर को रास नहीं आ रहा है।

By सुमित राय | Updated: October 3, 2018 10:33 IST2018-10-03T10:33:59+5:302018-10-03T10:33:59+5:30

India vs West Indies: Saurashtra Cricket Association's Niranjan Shah unhappy over BCCI curators preparing pitch for Rajkot Test | वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया चाहती है खास पिच, BCCI ने राजकोट भेजा अपना क्यूरेटर

भारत और वेस्टइंडीज के बीच राजकोट में पहला टेस्ट 4 अक्टूबर को खेला जाना है।

राजकोट, 3 अक्टूबर। वेस्टइंडीज क्रिकेट टीम के भारत दौरे में बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट एसोसिएशन के बीच टकराव जारी है। मध्यप्रदेश एमपी क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई के बीच विवाद चल ही रहा है कि अब सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई के बीच पिच को लेकर ठन गई है। दरअसल, भारत और वेस्टइंडीज के बीच राजकोट में पहला टेस्ट 4 अक्टूबर से खेला जाना है और बीसीसीआई ने पिच तैयार करने के लिए अपने चीफ पिच क्यूरेटर दलजीत सिंह को राजकोट भेजा है, जो राजकोट के पिच क्यूरेटर को रास नहीं आ रहा है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार बीसीसीआई द्वारा अपना क्यूरेटर भेजने से सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन से लंबे वक्त तक जुड़े रहे निरजन शाह नाराज हैं। उन्होंने कहा कि राजकोट के पिच क्यूरेटर एक आदर्श विकेट बनाने में सक्षम लिहाजा दलजीत सिंह को भेजने की जरूरत नहीं थी। रिपोर्ट के अनुसार टीम टीम मैनेजमेंट वेस्टइंडीज के खिलाफ दोनों टेस्ट के लिए बाउंसी और हार्ड विकेट चाहता है, ताकि इसके बाद होने वाले ऑस्ट्रेलिया दौरे की तैयारियों को पुख्ता किया जा सके।

निरंजन शाह का कहना है कि बोर्ड के इस फैसले से साबित हो रहा है उसे सौराष्ट्र क्रिकेट एसोसिएशन पर भरोसा नहीं है जो कि गलत प्रैक्टिस है। अगर बोर्ड ऐसा ही रवैया रखेगा तो 2017 की ऑस्ट्रेलिया सीरीज जैसे हालात भी पैदा हो सकते हैं। जैसे पुणे टेस्ट के पहले दो ही दिन में 24 विकेट्स गिर गए थे।

इससे पहले मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई के बीच मुफ्त पास टिकट को लेकर मतभेद चल रहा था। इसके बाद मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) ने इंदौर में मैच के आयोजन से इनकार कर दिया था। बीसीसीआई के नए संविधान के अनुसार स्टेडियम की कुल क्षमता में 90 प्रतिशत टिकट सार्वजनिक बिक्री के लिए रखे जाने चाहिए जिसका मतलब है कि राज्य इकाइयों के पास सिर्फ 10 प्रतिशत मुफ्त टिकट बचेंगे।

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