IND vs NZ: गंभीर ने बताया क्यों कोहली के लिए 'गुस्सा' है जरूरी, कहा, 'विराट आक्रामक होने पर ही करते हैं अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन'

Gautam Gambhir: पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने कहा है कि विराट कोहली को अच्छे स्वभाव वाले खिलाड़ी के बजा अपने चिरपरिचित आक्रामक अंदाज में अपनाने की जरूरत

By अभिषेक पाण्डेय | Published: February 28, 2020 11:07 AM

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ठळक मुद्देगंभीर ने कहा कि 'अच्छे व्यक्ति' वाला भाव कोहली के लिए नहीं कर रहा है कामगंभीर ने कहा कि कोहली आक्रामक होने पर ही करते हैं सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

पूर्व भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ दो टेस्ट मैचों की सीरीज में 0-1 से पिछड़ रही टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली को सलाह देते हुए कहा कि वह जब आक्रामक होते हैं तो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। गंभीर ने कहा कि कोहली को अपनी प्रतिस्पर्धात्मक भावना को एकीकृत करने की जरूरत है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए लिखे अपने कॉलम में गंभीर ने कहा, 'खेल एक दुलर्भ पेशा है जो इंसान की सभी भावनाओं को जगा सकता है, खुशी और गम दोनों को। ये दोनों भावनाएं जहां प्लॉट के लिए प्रमुख होती हैं, तो वहीं अन्य भावनाएं पूरा ड्रामा तैयार करती हैं। मैं कोई भावनाओं का विशेषज्ञ नहीं हूं लेकिन एक खिलाड़ी के तौर पर मैंने सभी छह अलग भावनाओं को महसूस किया है। अपने करीबी दोस्तों का डर और गुस्सा। यहां मैं गुस्से के बारे में बात करना चाहूंगा, कि वह कैसे प्रदर्शन को बढ़ाता है।' 

गंभीर ने इस कॉलम में 2008 के रणजी ट्रॉफी फाइनल के अपने एक निजी अनुभव को शेयर किया है। वह दिल्ली की कप्तानी करते हुए उत्तर प्रदेश के खिलाफ पहली पारी में जीरो पर आउट हो गए थे। इसके बाद उनकी कड़ी आलोचना हुई थी, लेकिन फिर उन्होंने दूसरी पारी में शतक जड़ते हुए दिल्ली को जीत दिलाई थी।

गंभीर ने किया अपनी एक पुरानी घटना का जिक्र, बताया गुस्से का फायदा

गंभीर ने लिखा, मैं जनवरी 2018 में रणजी ट्रॉफी फाइनल में मुंबई में उत्तर प्रदेश के खिलाफ दिल्ली की कप्तानी कर रहा था। मैं पहली पारी में जीरो पर आउट हो गया और मुझे अपनी तकनीक और रवैये के लिए कड़ी आलोचना झेलनी पड़ी। मैं इस मैच में इस सोच के साथ उतरा था कि रणजी जीतना मेरा बचपन का सपना है। लेकिन मैं उतने जुनून में नहीं था और साथ ही यूपी टीम में मेरे कई दोस्त भी थे, जिससे मेरा जुनून उस स्तर पर नहीं था। एक राष्ट्रीय चयनकर्ता की अगुवाई में हुई आलोचना ने मुझे बहुत गुस्सा दिलाया। अब मुझे लगता है कि मुझे उस समय उस गुस्से की जरूरत थी, क्योंकि मैं तब तक उस मुकाबले में नहीं था। इसके बाद मैंने दूसरी पारी में शतक लगाया और दिल्ली ने रणजी फाइनल जीत लिया। मैंने अपने शतक का खूब लुत्फ उठाया और चयनकर्ता की तरफ कुछ चिढ़ाने वाले इशारे भी किए। तो आलोचना के लिए निराश और फिर नाराज होने और फिर रणजी ट्रॉफी जीतने के बाद खुश होने समेत इस मैच ने मुझे हर संभव भावना का अहसास कराया।' 

गंभीर का मानना है कि पहले टेस्ट में महज 2 और 19 रन बनाने वाले विराट कोहली को अपनी आक्रामकता का स्तर बनाए रखने की जरूरत है। 

गंभीर ने दी कोहली को आक्रामक बनने की सलाह

गंभीर ने कोहली के उस बयान का भी उदाहरण दिया, जिसमें उन्होंने न्यूजीलैंड दौरे पर जाने से पहले कहा था कि किवी खिलाड़ी इतने अच्छे हैं कि वह उनसे बदला (वर्ल्ड कप की हार का) लेने के बारे में भी सोच भी नहीं सकते।

लेकिन गंभीर कोहली के इस रवैये से इत्तफाक नहीं रखते, उन्होंने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि विराट कोहली का ये हिस्सा उनके लिए काम करता है। वह तब सर्वश्रेष्ठ करते हैं, जब वह आक्रामक होते हैं, जब वह मुकाबला करते हैं। बदला लेना एक अतिशयोक्तिपूर्ण विचार हो सकता है, लेकिन मैं 'अच्छे खिलाड़ी' वाली भावना से भी सहमत नहीं हूं। कोहली उस तरह के भावनात्मक रूप से जाग्रत खिलाड़ी हैं जो संत की शांति से कवर ड्राइव खेल सकते हैं और फिर एक जीवंत चीयरलीडर की तरह अपनी टीम का नेतृत्व भी कर सकते हैं।'

भारतीय टीम को न्यूजीलैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में 10 विकेट से शिकस्त मिली थी। सीरीज का दूसरा और आखिरी टेस्ट 29 मार्च से क्राइस्टचर्च में खेला जाएगा।

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