युवराज सिंह ने किया खुलासा, कहा, 'मुझे धोनी और विराट कोहली से नहीं मिला गांगुली की कप्तानी जैसा समर्थन'

Yuvraj Singh: टीम इंडिया के पूर्व क्रिकेटर युवराज सिंह ने कहा है कि उन्हें जैसा समर्थन सौरव गांगुली की कप्तानी में मिला, वैसा धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में कभी नहीं मिला

By अभिषेक पाण्डेय | Published: April 01, 2020 10:33 AM

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ठळक मुद्देयुवराज ने गांगुली की कप्तानी में खेले 110, धोनी की कप्तानी में 104 वनडे मैचयुवराज ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू गांगुली की कप्तानी में 2000 में किया था

2007 टी20 वर्ल्ड कप और 2011 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम की जीत के हीरो रहे युवराज सिंह को हमेशा ही एक विजेता खिलाड़ी माना गया। इस स्टार क्रिकेटर ने 2019 में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। 

युवराज ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कहा कि गांगली उनके लिए कहीं बेहतर कप्तान थे और उन्हें जैसा समर्थन दादा से मिला, वैसा धोनी और कोहली से नहीं मिला।

धोनी, कोहली से नहीं मिला गांगुली जैसा समर्थन: युवराज

स्पोर्टस्टार को दिए इंटरव्यू में युवराज ने कहा, 'मैं सौरव (गांगुली) के नेतृत्व में खेला हूं और मुझे उनसे काफी समर्थन मिला। इसके बाद माही (एमएस धोनी) कप्तान बने। सौरव और माही के बीच चुनाव करना मुश्किल है। मुझे सौरव ने दो समर्थन दिया, उसकी वजह से उनके साथ यादें अधिक हैं। मुझे उस तरह का समर्थन माही और विराट (कोहली) से नहीं मिला।' 

2000 चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ गांगुली की कप्तानी में अपना इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले युवराज इसके बाद राहुल द्रविड़, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर, एमएस धोनी और विराट कोहली की कप्तानी में खेले।

युवराज ने अपने कुल 304 वनडे में से सर्वाधिक 110 गांगुली की कप्तानी में खेले, इसके बाद उन्होंने 104 वनडे धोनी की कप्तानी में खेले।

रोचक बात ये है कि युवराज का सर्वश्रेष्ठ रिकॉर्ड धोनी की कप्तानी में ही रहा। उन्होंने धोनी की कप्तानी में 104 वनडे में 3077 रन बनाए, जबकि गांगुली की कप्तानी में 110 वनडे में 2640 रन बनाए। हालांकि इसमें एक तथ्य ये भी है कि धोनी की कप्तानी तक युवराज कहीं ज्यादा अनुभवी और इंटरनेशनल क्रिकेट में ज्यादा स्थापित बल्लेबाज बन चुके थे।  

युवराज ने कहा, 'मैं आया (2000 में) तो आईपीएल नहीं था और अचानक ही मैं उनकी बगल में बैठा था। मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान था और मैंने उनसे सीखा कि कैसे व्यवहार करना है, मीडिया से कैसे बात करनी है। उनसे काफी कुछ सीखा। आज, टीम में बहुत कम सीनियर हैं, जो उन खिलाड़ियों का मार्गदर्शन कर सकें जो लगभग उनके ही उम्र के हैं।' 

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