विवियन रिचर्ड्स ने उठाया तिब्बत की आजादी का मुद्दा, भारत-चीन विवाद के बीच सोशल मीडिया पर लिखी ये बात

तिब्बत को चीन ने साल 1951 में अपने नियंत्रण में ले लिया था, जिसके बाद से तिब्बत की आजादी को लेकर आवाज उठती रही है...

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: February 13, 2021 10:38 AM

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ठळक मुद्देविवियन रिचर्ड्स ने किया #FreedomForTibet को सपोर्ट।साल 1951 से तिब्बत पर चीन का कब्जा।दलाई लामा ने भारत में किया निर्वासित सरकार का गठन। 

भारत-चीन विवाद के बीच वेस्टइंडीज के महानतम क्रिकेटर सर विवियन रिचर्ड्स ने भी तिब्बत की आजादी का मुद्दा उठा दिया है। विवियन रिचर्ड्स ने 13 फरवरी को एक ट्वीट करते हुए लिखा- "स्वतंत्रता दिवस की बधाई, तिब्बत #फ्रीडमफॉरतिब्बत।"

चीन सैकड़ों तिब्बितयों को उतार चुका मौत के घाट

बता दें कि तिब्बत पर कब्जे के बाद चीन ने वहां के ज्यादातर बौद्ध विहारों को नष्ट करते हुए सैकड़ों तिब्बतियों को मौत के घाट उतार दिया था, जिसके बाद से तिब्बत की आजादी का मुद्दा लगातार उठता रहा है।

चीन ने साल 1951 में किया था तिब्बत पर कब्जा

चीन में तिब्बत का दर्जा एक स्वायत्तशासी क्षेत्र के तौर पर है। चीन ने साल 1950 में तिब्बत पर अपना कब्जा करने के लिए हजारों सैनिक भेज दिए थे। इसके बाद साल 1951 में चीन ने तिब्बत को अपने कब्जे में लिया था। चीन के मुताबिक तिब्बत पर सदियों से उसकी संप्रभुता रही है।

बता दें कि संप्रभुता किसी देश की स्वायत्तता का एक मापक है, इससे आशय है कि वह देश अपने आंतरिक और विदेशी मामलों में कोई भी निर्णय करने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। वहीं तिब्बत के लोग निर्वासित आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा के प्रति अपनी आस्था रखते हैं।

अपना कब्जा जमाने के बाद चीन ने तिब्बत के कुछ इलाकों को स्वायत्तशासी क्षेत्र में बदल दिया गया और बाकी इलाकों को इससे लगने वाले चीनी प्रांतों में मिला दिया गया।  

दलाई लामा ने साल 1959 में ली भारत में शरण

चीन के खिलाफ हुए एक नाकाम विद्रोह के बाद आखिरकार साल 1959 में दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में शरण लेने के लिए मजबूत होना पड़ा। भारत में 14वें दलाई लामा ने निर्वासित सरकार का गठन किया। 

अरुणाचल प्रदेश पर भी अधिकार जता रहा चीन

गौरतलब है कि चीन के साथ अरुणाचल प्रदेश की 3488 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है। साल 1938 में खींची गई मैकमोहन लाइन के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है, लेकिन चीन इस पर भी अपना अधिकार जताता रहा है।

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