Champions Trophy: अगले साल आईसीसीचैंपियंस ट्रॉफी खेली जानी है। लेकिन इसे लेकर असमंजस का दौर जारी है। अभी भी यह तय नहीं है कि टूर्नामेंट का आयोजन पाकिस्तान में होगा या नहीं। पाकिस्तान इस आईसीसी टूर्नामेंट का आधिकारिक मेजबान है। लेकिन भारत की भागीदारी पर अब तक कुछ भी स्पष्टता न होने से पाकिस्तान की जान हलक में है। पाकिस्तान चाहता है कि भारतीय टीम उसके देश का दौरा करे और इस आयोजन में हिस्सा ले। लेकिन दोनों देशों के बीच खराब राजनीतिक रिश्ते इसमें खटाई डाल सकते हैं। भारत ने 2008 एशिया कप के बाद से पाकिस्तान में नहीं खेला है। 2012-2013 में पाकिस्तान के भारत दौरे के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सीरीज भी नहीं हुई है।
पाकिस्तान को डर है कि अगर भारतीय टीम नहीं आई तो उसकी मेजबानी छिन सकती है। ऐसी ही स्थिति 2022 में आई जब एशिया कप की मेजबानी पाकिस्तान में होनी थी लेकिन बीसीसीआई ने पाकिस्तान का दौरा करने से इनकार कर दिया। इसकी वजह से टूर्नामेंट हाइब्रिड मॉडल में खेला गया, जिसमें कुछ खेल पाकिस्तान में खेले गए और अन्य प्रमुख मैच श्रीलंका में।
हालांकि इस बार पीसीबी ने कड़ा रुख अपना रखा है कि वे आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए ऐसी मांगों पर सहमत नहीं होंगे। पीसीबी ने टीम इंडिया को पाकिस्तान भेजने के लिए बीसीसीआई को मनाने की जिम्मेदारी आईसीसी पर छोड़ दी है। अब अगर जल्द ही चीजें ठीक नहीं हुईं तो ऐसी स्थिति आ सकती है कि भारत टूर्नामेंट से बाहर हो जाए।
इस बीच पीसीबी को एक सुखद खबर मिली है क्योंकि इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) के सीईओ रिचर्ड गोल्ड ने पाकिस्तान में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी के लिए पीसीबी का समर्थन किया है। गोल्ड ने कहा है कि यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत दृढ़ संकल्प है कि इसे (चैंपियंस ट्रॉफी) अगले साल पाकिस्तान में आयोजित किया जाए।
हालांकि आधिकारिक कार्यक्रम अभी जारी नहीं हुआ है लेकिन टूर्नामेंट अगले साल फरवरी-मार्च में खेले जाने की संभावना है। अगर भारत टूर्नामेंट में खेलने से इनकार करता है तो आईसीसी और पीसीबी दोनों को आर्थिक नुकसान हो सकता है। पीसीबी को यह भी डर है कि अगर भारत चैंपियंस ट्रॉफी से हट गया तो अन्य बोर्ड पाकिस्तान में खेलने से इनकार कर सकते हैं।