महिलाएं करती हैं पुरुषों से दो से 10 गुना ज्यादा बेगारी, 80 फीसदी की नहीं पूरी होती नींद

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 14, 2017 14:06 IST2017-12-12T19:30:31+5:302017-12-14T14:06:52+5:30

देश के तीन राज्यों में किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की गयी एक गैर-सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी नीतियां भी महिलाओं की खराब स्थिति को ध्यान में नहीं रखती हैं।

Women are doing two to 10 times more unpaid work than men, 80 per cent do not complete sleep | महिलाएं करती हैं पुरुषों से दो से 10 गुना ज्यादा बेगारी, 80 फीसदी की नहीं पूरी होती नींद

महिलाएं करती हैं पुरुषों से दो से 10 गुना ज्यादा बेगारी, 80 फीसदी की नहीं पूरी होती नींद

महिला और पुरुष की बराबरी के चाहे हम जितने भी दावे कर लें जमीनी हकीकत कुछ और ही होती है।एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं को पुरुषों की तुलना में दो से 10 गुना तक ज्यादा बेगारी (मुफ्त में काम) करनी होती है। गैर-सरकारी संगठन एक्शनएड द्वारा नवंबर अंत में जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं कामगार के लिए सबसे ज्यादा तनाव नींद न पूरे होने के कारण होता है। दफ्तर और घर की साझा जिम्मादारी की वजह से महिलाओं को सोने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता। “इन्विजिबल वर्क इन्विजिबल वर्कर्स- द सब-इकोनॉमिक्स ऑफ अनपेड वर्क एंड पेड वर्क” नामक यह रिपोर्ट महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तराखंड में किए गए जमीनी सर्वे पर आधारित है। इस सर्वे में 1560 महिलाओं की राय ली गयी। सर्वे में महिलाओं के कामकाज से जुड़ी नीतियों और स्थितियों का भी अध्ययन किया गया। एक्शनएड की ये रिपोर्ट नरेंद्र मोदी सरकार में सामाजिक आधाकारिता मंत्री रामदास अठावले ने जारी की थी। अठावले ने इस मौके पर बताया था कि उनकी माँ भी खेत मजदूर के तौर पर काम करती थीं।

संयुक्त राष्ट्र द्वारा वित्त पोषित ये सर्वे सेंटर फॉर फॉर डेवलपमेंट रिसर्च एंड एक्शन की प्रोफेसर ऋतु दीवान के नेतृत्व में हुआ। इस सर्वे में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में महिलाओं से पगार और बेगार दोनों तरह के काम की स्थिति का अध्ययन किया गया। इस रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं बेगार के काम में ज्यादा शामिल होती हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाएं दो से 10 गुना तक ज्यादा बेगार करती हैं। इसकी वजह से महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा और कौशल विकास पर प्रतिकूल असर पड़ता है। बेगार के बोझ से दबे होने के कारण कई बार महिलाएं आत्मनिर्भर नहीं बन पातीं और उनका सामाजिक प्रभाव पुरुषों के समकक्ष नहीं हो पाता।

रिपोर्ट जारी करते हुए प्रोफेसर दीवान ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा था, “इसका ये मतलब नहीं है कि पुरुष कम काम करते हैं लेकिन काम के घंटे और विविधता के मामले में पुरुषों पर कम बोझ है।” रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न सेक्टरों में काम करने वाले करीब 80 फीसदी महिलाओं ने “नींद न पूरी होने” की शिकायत की। रिपोर्ट के अनुसार ऊर्जा, जल संसाधन, स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा और जीविका इत्यादि सेक्टर में पर्याप्त प्रावधान न होने का भी महिलाओं की स्थिति पर प्रतिकूल असर पड़ा है। एक्शनएड इंडिया के कार्यकारी निदेशक संदीप चचड़ा के अनुसार बड़े उद्योगों से जुड़ी नीतियों की वजह से भी महिलाओं पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। संदीप के अनुसार सरकार अपनी नीतियों और रणनीतियों में महिलाओं के बढ़ते दबाव का संज्ञान नहीं ले रही है।

Web Title: Women are doing two to 10 times more unpaid work than men, 80 per cent do not complete sleep

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