क्या है पारगमन सुविधा?, भारत ने बांग्लादेश को दिया झटका और किया समाप्त
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 9, 2025 19:34 IST2025-04-09T18:31:52+5:302025-04-09T19:34:29+5:30
सुविधा ने भूटान, नेपाल और म्यांमा जैसे देशों में बांग्लादेश के निर्यात के लिए सुचारू व्यापार प्रवाह को सक्षम किया था।

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नई दिल्लीः सरकार ने बांग्लादेश से बंदरगाहों और हवाई अड्डों के रास्ते में किसी तीसरे देश को निर्यात करने के लिए भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों का उपयोग करने की अनुमति देने वाली पारगमन सुविधा को समाप्त कर दिया है। एक सरकारी परिपत्र में यह जानकारी दी गई है। मुख्य रूप से परिधान क्षेत्र के भारतीय निर्यातकों ने पहले सरकार से पड़ोसी देश को दी गई यह सुविधा वापस लेने का आग्रह किया था। इस सुविधा ने भूटान, नेपाल और म्यांमा जैसे देशों में बांग्लादेश के निर्यात के लिए सुचारू व्यापार प्रवाह को सक्षम किया था।
#WATCH | Delhi | On the withdrawal of the Transshipment facility for Bangladesh, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "...The Transshipment facility extended to Bangladesh had over a period of time resulted in significant congestion at our airports and ports. Logistical delays… pic.twitter.com/ZoLBJrskZ8
— ANI (@ANI) April 9, 2025
यह सुविधा, भारत द्वारा जून, 2020 में बांग्लादेश को प्रदान की गई थी। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के आठ अप्रैल के परिपत्र में कहा गया, “29 जून, 2020 के संशोधित परिपत्र को तत्काल प्रभाव से रद्द करने का निर्णय लिया गया है। भारत में पहले से प्रवेश किए गए कार्गो को उस परिपत्र में दी गई प्रक्रिया के अनुसार भारतीय क्षेत्र से बाहर जाने की अनुमति दी जा सकती है।”
#WATCH | Delhi | On the issue of minorities in Bangladesh, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "We have conveyed our concerns regarding the treatment of minorities, the kind of violence that has happened against them...These violence and atrocities against minorities cannot be… pic.twitter.com/Y98tIbZBbu
— ANI (@ANI) April 9, 2025
#WATCH | Delhi | On PM Modi's meeting with Senior General Min Aung Hlaing of Myanmar, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "This happened on the sidelines of the BIMSTEC summit in Bangkok...The leaders exchanged notes on India's relief assistance provided to Myanmar as part of… pic.twitter.com/St70fyMPai— ANI (@ANI) April 9, 2025
यह घोषणा ऐसे समय में की गई है जब अमेरिका ने भारत और बांग्लादेश सहित कई देशों पर भारी शुल्क लगाया है। पहले के परिपत्र में भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के रास्ते में भारतीय भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों (एलसीएस) का उपयोग करके बांग्लादेश से तीसरे देशों में निर्यात कार्गो के पारगमन की अनुमति दी गई थी।
#WATCH | Delhi | On the Teesta Water Treaty, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, "There are 54 rivers which are shared between India and Bangladesh. To discuss all relevant water issues, we have a mechanism, bilateral mechanism which is called the Joint Rivers Commission. We… pic.twitter.com/kdWQ5nvOIq
— ANI (@ANI) April 9, 2025
व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, इस निर्णय से परिधान, जूते और रत्न एवं आभूषण जैसे कई भारतीय निर्यात क्षेत्रों को मदद मिलेगी। बांग्लादेश कपड़ा क्षेत्र में भारत का एक बड़ा प्रतिस्पर्धी है। भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा, ‘‘अब हमारे पास अपने माल के लिए अधिक हवाई क्षमता होगी।
पहले निर्यातकों ने बांग्लादेश को दी गई पारगमन सुविधा के कारण कम जगह की शिकायत की थी।’’ एईपीसी के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने कहा था कि लगभग 20-30 ट्रक प्रतिदिन दिल्ली आते हैं, जिससे माल की सुचारू आवाजाही धीमी हो जाती है और एयरलाइंस इसका अनुचित लाभ उठा रही हैं। इससे हवाई माल भाड़े में अत्यधिक वृद्धि होती है, निर्यात कार्गो की हैंडलिंग और प्रसंस्करण में देरी होती है।
दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय (आईजीआई) हवाई अड्डे पर कार्गो टर्मिनल पर भारी भीड़ होती है, जिसके परिणामस्वरूप दिल्ली एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स के माध्यम से भारतीय परिधान निर्यात, प्रतिस्पर्धी नहीं रहता है। शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि इस सुविधा को वापस लेने से बांग्लादेश के निर्यात और आयात लॉजिस्टिक्स में बाधा आने की उम्मीद है, जो तीसरे देश के व्यापार के लिए भारतीय बुनियादी ढांचे पर निर्भर है।
श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘पिछली व्यवस्था ने भारत के माध्यम से एक सुव्यवस्थित मार्ग की पेशकश की थी, जिससे पारगमन समय और लागत में कटौती हुई। अब, इसके बिना, बांग्लादेशी निर्यातकों को लॉजिस्टिक्स में देरी, उच्च लागत और अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा, नेपाल और भूटान खासकर इसलिए बांग्लादेश में प्रतिबंधित पारगमन पहुंच के बारे में चिंता जता सकते हैं, क्योंकि यह कदम बांग्लादेश के साथ उनके व्यापार को बाधित करेगा।’’