'भारत की कमजोर बैंकिंग प्रणाली में दो साल में होगा सुधार, बुरा समय बीता'
By भाषा | Published: July 31, 2018 06:05 PM2018-07-31T18:05:47+5:302018-07-31T18:05:47+5:30
एस एण्ड पी की ‘‘भारतीय बैंकों के लिये बुरा समय बीत चुका है’’ नामक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा कि अगले दो साल के दौरान बैंकों की रेटिंग कम होने के बजाय बढ़ने की ज्यादा संभावना है।
नई दिल्ली, 31 जुलाईः सरकार की ओर से अतिरिक्त पूंजी मिलने और फंसे कर्जों के मोर्चे पर सुधार से देश की बैंकिंग प्रणाली प्रणाली कुछ सालों में मजबूत हो जाएगी। वैश्विक रेटिंग एजेंसी एस एण्ड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को एक रपट में यह अनुमान जताया है।
एस एण्ड पी की ‘‘भारतीय बैंकों के लिये बुरा समय बीत चुका है’’ नामक रिपोर्ट में एजेंसी ने कहा कि अगले दो साल के दौरान बैंकों की रेटिंग कम होने के बजाय बढ़ने की ज्यादा संभावना है। लेकिन इस मामले में कमजोर जोखिम प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण की वजह से बैंकों में ज्यादा सुधार आने की संभावनायें सीमित हो जातीं हैं।
एस एण्ड पी ग्लोबल रेटिंग क्रेडिट विश्लेषक गीता चुघ ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि भारतीय बैंकों ने गैर- निष्पादित कर्ज की पहचान की है और अब पूरी प्रणाली में कमजोर कर्ज के काफी बड़े हिस्से के कवर कर लिया गया है। ऐसी राशि कुल रिण का 13 से 15 प्रतिशत तक है।’’
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक भारतीय बैंकों के प्रदर्शन में मार्च 2020 को समाप्त होने वाले साल में सुधार आ जायेगा। हालांकि, इस स्थिति में देरी हो सकती है यदि कृषि क्षेत्र में बड़ी मात्रा में गैर- निष्पादित कर्ज की स्थिति बनती है। उदाहरण के तौर पर इस क्षेत्र में सरकार की तरफ से की जाने वाली कर्ज माफी कर्ज अनुशासन को बिगाड़ सकती है। अचल संपत्ति के समक्ष दिये जाने कर्ज में भी स्थिति संवेदनशील है।
एजेंसी ने कहा है कि बैंकों में फंसे कर्ज की समस्या का निपटान किये जाने और सरकार की तरफ से पूंजी डाले जाने से बैंकों का कमजोर पूंजी आधार मजबूत होगा। रिजर्व बैंक ने कर्ज के मामले में नियमों को सख्त किया है। कंपनियों का मुनाफा चढ़ा है। नये दिवाला एवं रिण शोधन अक्षमता कानून के तहत गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों का त्वरित निपटारा बैंकों को फंसे कर्ज के भंवर से बाहर निकालेगा।
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