US tariff impact: 50 प्रतिशत शुल्क, अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक कार्य योजनाओं पर काम कर रहा वाणिज्य मंत्रालय, ई-कॉमर्स निर्यात पर फोकस
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 31, 2025 05:21 IST2025-08-31T05:21:15+5:302025-08-31T05:21:15+5:30
US tariff impact: केंद्रों में सामान वापस भेजने, राज्यों के बीच आवाजाही और जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा।

file photo
नई दिल्लीः वाणिज्य मंत्रालय भारत से अमेरिका जाने वाले सामानों पर लगाए गए 50 प्रतिशत शुल्क से निपटने में निर्यातकों की मदद करने के लिए अल्पकालिक, मध्यम और दीर्घकालिक कार्य योजनाओं पर काम कर रहा है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। अधिकारी ने बताया कि कई विशेष आर्थिक क्षेत्र की नीतियों में लचीलापन लाने वाले नियमों पर भी विचार किया जा रहा है। सरकार ई-कॉमर्स निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नए केंद्र शुरू कर रही है। इन केंद्रों में सामान वापस भेजने, राज्यों के बीच आवाजाही और जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया को आसान बनाया जाएगा।
अधिकारी ने यह भी बताया कि एक नया इन्वेंट्री मॉडल भी लाया जाएगा। यह मॉडल तीसरे पक्ष की कंपनियों को नियमों का पालन करने और सामान को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का काम संभालने की अनुमति देगा। इससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर काम का बोझ कम होगा और वे अपने उत्पादों की गुणवत्ता और ब्रांडिंग पर ध्यान दे पाएंगे।
अधिकारी ने बताया कि इस योजना के तहत निर्यातकों को तुरंत वित्तीय राहत देने, कमजोर क्षेत्रों में ऑर्डर और रोजगार को बनाए रखने, संरचनात्मक सुधारों के जरिए आपूर्ति श्रृंखलाओं में लचीलापन लाने और मौजूदा व्यापार समझौतों का लाभ उठाते हुए नए बाजारों तक पहुंच बनाने पर जोर दिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा कि घरेलू उद्योग की सुरक्षा और निर्यात से बचे उत्पादन को समायोजित करने के लिए सरकार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) और डीटीए (घरेलू शुल्क क्षेत्र) के विनिर्माताओं को राहत देने पर विचार कर रही है। इस समय डीटीए को शुल्क भुगतान के बाद विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) से बिक्री की अनुमति है।
इन क्षेत्रों की इकाइयों ने शुल्क छूट के आधार पर बिक्री की अनुमति देने का अनुरोध किया है। सरकार निर्यात के लिए ई-कॉमर्स के इन्वेंट्री-आधारित मॉडल में एफडीआई की अनुमति दे सकती है। अधिकारी ने कहा कि तत्काल या अल्पकालिक राहत उपायों में नकदी को आसान बनाने, दिवालियापन को रोकने, विशेष आर्थिक क्षेत्रों (सेज) में इकाइयों के लिए लचीलापन देने जैसे कई कदमों पर विचार किया जा रहा है।
मध्यम अवधि में भारत के मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) का लाभ उठाने, क्रेता-विक्रेता संपर्क बढ़ाने और प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए जीएसटी सुधारों पर जोर दिया जाएगा। दीर्घावधि में सरकार निर्यात संवर्धन मिशन (ईपीएम), एसईजेड सुधारों और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहलों पर जोर देगी।