UP News: यूपी में आसानी से हो सकेगा संपत्ति बंटवारा, ईज ऑफ लिविंग का परिवेश तैयार कर रही योगी सरकार
By राजेंद्र कुमार | Updated: August 6, 2024 18:58 IST2024-08-06T18:58:06+5:302024-08-06T18:58:55+5:30
UP News: एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपए तय करने का आदेश सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे के अधिकारियों को दिया है.

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UP News: लोकसभा चुनावों के पहले प्रदेश ही योगी सरकार ने मात्र पांच हजार रुपए के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्त संबंधियों के नाम करने की सहूलियत दी थी. उसी क्रम में मंगलवार को सरकार ने संपत्ति बटवारे को सुगम और आसान बनाने के लिए पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी आमजनों को बड़ी सुविधा देने का फैसला किया है. इसके तहत अब एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवारजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपए तय करने का आदेश सीएम योगी आदित्यनाथ ने सूबे के अधिकारियों को दिया है.
सीएम योगी का कहना है कि अधिक खर्च के कारण कई परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद की स्थिति बनती है और कोर्ट केस भी होते हैं. न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा. संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी.
यह होता है विभाजन
● विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित संपत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं विभाजन उनके मध्य होता है.
● विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल संपत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा / भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं.
यह होता है व्यवस्थापन:-
● व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है.
● व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है. अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है.