नयी दिल्ली, 28 जुलाई भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि खुलासा या जानकारी देने के मोर्चे पर कई कंपनियों में कमियां हैं। सेबी प्रमुख ने बुधवार को ऐसी कंपनियों को सलाह दी कि वे इसे ‘चेक बॉक्स’ प्रक्रिया की तरह नहीं लें।
सेबी के नियमों के अनुसार सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा सूचना प्रस्तुत किए जाने के दो सेट हैं। एक निश्चित अवधि के अंतराल पर दी जाने वाली सूचना या खुलासा है जिसके लिए फॉर्मेट नियामक द्वारा तय किया जाता है। दूसरा ‘महत्वपूर्ण’ बात की सूचना के रूप में होता है। इसमें कुछ घटानाओं/ बातों केा महत्वपूर्ण सूचना का माना जाता है जिनकी सार्वजनिक सूचना देना जरूरती होती है।
सेबी प्रमुख ने कहा कि दोनों ही मोर्चों पर कंपनियों के विवरण में कुछ कमी है।
उन्होंने कहा कि सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा अनिवार्य रूप से दी जाने वाली सूचनाओं को ‘चेक बॉक्स’ या ऐसी सूचना-सूची नहीं समझना चाहिए जिसके आधार पर हां/नहीं का निर्णय किया जाता है।
उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों में कई कंपनियों द्वारा दी गयी सूचनाओं में कमी रही है।
त्यागी ने कहा, ‘‘निश्चित अवधि पर दिए जाने वाले विवरणों मसलन वार्षिक रिपोर्टों में जहां सभी चीजों को भरा जाता है, वहीं कुछ मामलों में यह चेक-बॉक्स की प्रक्रिया अधिक लगती है। इसे ठीक नहीं कहा जा सकता।’’
उन्होंने कहा कि वित्तीय नतीजों, वार्षिंक रिपोर्ट और कामकाज के संचालन की रिपोर्ट जैसे दस्तावेजों में गुणवत्ता का स्तर ऐसा होना चाहिए जिसके निवेशक हकदार हैं।
त्यागी ने कहा कि न केवल आवधिक खुलासा, बल्कि कई बार कंपनियां महत्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी भी नहीं देती हैं। कई मामलों में मीडिया में लेख आने के बाद शेयर बाजारों द्वारा कंपनियों से स्पष्टीकरण मांगा जाता है। उसके बाद कंपनियों एक्सचेंजों को जवाब देती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह सही रास्ता नहीं है।
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