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बीते वित्त वर्ष की जीडीपी की वृद्धि दर को संशोधित कर 4 प्रतिशत किया गया

By भाषा | Updated: January 29, 2021 19:48 IST

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नयी दिल्ली, 29 जनवरी सरकार ने बीते वित्त वर्ष 2019-20 की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। पहले इसके 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। विनिर्माण और निर्माण जैसे क्षेत्रों में गिरावट की वजह से जीडीपी की वृद्धि दर में संशोधन किया गया है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने शुक्रवार को संशोधित राष्ट्रीय लेखा खाते जारी करते हुए कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2019-20 और 2018-19 के लिए वास्तविक जीडीपी या स्थिर (2011-12) मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद क्रमश: 145.69 लाख करोड़ रुपये और 140.03 लाख करोड़ रुपये रहा।’’

इस तरह 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद 4 प्रतिशत बढ़ा। 2018-19 की जीडीपी की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत थी।

जनवरी, 2020 में जारी पहले संशोधन में 2018-19 की वास्तविक जीडीपी के 139.81 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। यह 6.1 प्रतिशत की वृद्धि है।

आंकड़ों के अनुसार, ‘‘2019-20 में वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2018-19 की तुलना में कम रहा है। इसकी वजह खनन एवं संबद्ध क्षेत्र, विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं, निर्माण, व्यापार, मरम्मत, होटल एवं रेस्तरां तथा वित्तीय सेवाओं की वृद्धि दर कम रहना है।’’

वित्त वर्ष 2019-20 में प्राथमिक क्षेत्र (कृषि, वन, मत्स्यपालन, खनन और संबद्ध क्षेत्र) की वृद्धि दर 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 2.2 प्रतिशत रही थी।

इसी तरह द्वितीयक क्षेत्र (मसलन विनिर्माण, बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाएं तथा निर्माण) की वृद्धि दर -1.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 5.8 प्रतिशत रही थी। सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पिछले वित्त वर्ष में भी यह इतनी ही रही थी।

आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में वर्तमान मूल्य पर शुद्ध राष्ट्रीय आय या एनएनआई 7.7 प्रतिशत बढ़कर 179.94 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 167.05 लाख करोड़ रुपये रही थी। 2018-19 में एनएनआई में 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

वित्त वर्ष 2019-20 में मौजूदा मूल्य पर प्रति व्यक्ति आय या प्रति व्यक्ति शुद्ध राष्ट्रीय आय 1,34,186 करोड़ रुपये रही है। इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 1,25,883 करोड़ रुपये थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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