वित्तीय वर्ष के अंत तक घोषित हो सकता है देश का पहला प्रादेशिक हैप्पिनेस इंडेक्स!
By भाषा | Published: September 1, 2019 01:59 PM2019-09-01T13:59:46+5:302019-09-01T13:59:46+5:30
156 देशों में खुशहाली के स्तर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की 20 मार्च को जारी "विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019" में भारत पिछले साल के मुकाबले सात पायदान नीचे खिसककर 140वें स्थान पर रहा है। इस फेहरिस्त में भारत वर्ष 2018 में 133वें स्थान पर था।
देश में अपनी तरह के पहले सरकारी अभियान के तहत मध्यप्रदेश में ‘हैप्पिनेस इंडेक्स’ मापने की उल्टी गिनती आखिरकार शुरू होती नजर आ रही है। सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो मौजूदा वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक सूबे के नागरिकों की खुशहाली का सूचकांक घोषित हो जायेगा।
प्रदेश सरकार के राज्य आनंद संस्थान के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अखिलेश अर्गल ने बताया, "हैप्पिनेस इंडेक्स मापने के लिये हम सर्वेक्षण की प्रश्नावली को अंतिम रूप दे रहे हैं। यह सर्वेक्षण नवंबर में शुरू होना है। हमारा लक्ष्य है कि इसी वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक सर्वेक्षण पूरा कर सूबे का ‘हैप्पिनेस इंडेक्स’ घोषित कर दिया जाये।"
उन्होंने बताया कि देश में अपनी तरह के पहले सर्वेक्षण के लिये प्रदेश सरकार ने खड़गपुर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के रेखी सेंटर ऑफ एक्सिलेंस फॉर द साइंस ऑफ हैप्पिनेस को अपना नॉलेज पार्टनर बनाया है। अर्गल ने बताया कि हैप्पिनेस इंडेक्स मापने के सर्वेक्षण में सूबे के गांवों, कस्बों और शहरों के करीब 15,000 लोगों से सीधा संपर्क किया जायेगा।
सर्वेक्षण में उनकी जीवनशैली, आय, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, उपलब्धियों, अभिरुचियों, सकारात्मक व नकारात्मक भावनाओं, मानवीय संबंधों, जिंदगी के प्रति संतुष्टि के भाव, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन, पर्यावरण से जुड़ाव, दिनचर्या में समय के उपयोग आदि विषयों पर सवाल पूछे जायेंगे। उन्होंने बताया, "सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर सूबे के नागरिकों का हैप्पिनेस इंडेक्स घोषित किया जायेगा।
इससे लोगों के जीवन को खुशहाल बनाने के उपाय करने में प्रदेश सरकार को खासी मदद मिलेगी।" अर्गल ने कहा कि नागरिकों के हैप्पिनेस इंडेक्स मापने के अभियान अब तक विदेशों में ही चले हैं। प्रदेश में इस सूचकांक का वास्तविक स्तर पता लगाने के लिये सर्वेक्षण की प्रश्नावली को भारतीय और स्थानीय सांचे में ढाला जा रहा है।
बहरहाल, अहम सवाल यह है कि आर्थिक और सामाजिक असमानताओं से भरे सूबे में क्या नागरिकों की खुशहाली का कोई साझा सूचकांक घोषित किया जा सकता है? इस प्रश्न पर राज्य आनंद संस्थान के सीईओ ने कहा, "यह सच है कि प्रसन्नता सापेक्ष होती है और हर आदमी की खुशी के कारण अलग-अलग होते हैं।
इसके बावजूद हम हैप्पिनेस इंडेक्स घोषित करने के लिये सर्वेक्षण की ऐसी पद्धति गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं जिससे समाज के सभी तबकों की प्रसन्नता के स्तर की सामूहिक तौर पर थाह ली जा सके।"
गौरतलब है कि 156 देशों में खुशहाली के स्तर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की 20 मार्च को जारी "विश्व प्रसन्नता रिपोर्ट 2019" में भारत पिछले साल के मुकाबले सात पायदान नीचे खिसककर 140वें स्थान पर रहा है। इस फेहरिस्त में भारत वर्ष 2018 में 133वें स्थान पर था।