केंद्र ने न्यायालय में माना, समय से पहले सेवानिवृत चेयरपर्सन 20 सितंबर तक पद पर बने रहेंगे

By भाषा | Updated: September 16, 2021 17:09 IST2021-09-16T17:09:48+5:302021-09-16T17:09:48+5:30

The Center admitted in the court, the prematurely retired chairperson will continue in the post till September 20 | केंद्र ने न्यायालय में माना, समय से पहले सेवानिवृत चेयरपर्सन 20 सितंबर तक पद पर बने रहेंगे

केंद्र ने न्यायालय में माना, समय से पहले सेवानिवृत चेयरपर्सन 20 सितंबर तक पद पर बने रहेंगे

नयी दिल्ली, 16 सितंबर केन्द्र सरकार बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में एनसीएलएटी के तय समय से पहले सेवानिवृत अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक इकबाल सिंह चीमा को फैसला सुनाने के लिए 20 सितंबर तक पद पर बनाये रखने के लिये राजी हो गई। इसके बाद चीमा की समय से पहले सेवानिवृत्ति से जुड़ा विवाद खत्म हो गया।

शीर्ष अदालत ने इससे पहले न्यायाधिकरण सुधार कानून 2021 को स्वत: संज्ञान लेते हुये स्थगित करने की चेतावनी भी दी।

राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के पूर्व अध्यक्ष न्यायमूर्ति चीमा को 20 सितंबर को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन उनकी जगह 11 सितंबर को ही न्यायमूर्ति एम वेणुगोपाल को न्यायाधिकरण का कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। इसके चलते एक अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई और न्यायमूर्ति चीमा ने शीर्ष अदालत में अपील की।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना और न्यायमूर्ति सूर्यकांत तथा न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ को बताया, ‘‘मैंने निर्देश ले लिया है। ऐसा बताया गया कि उन्होंने (चीमा) फैसला लिखने के लिए छुट्टी ली थी। इसलिए हमने फैसला किया है कि उन्हें कार्यालय जाने और फैसला सुनाने की अनुमति दी जाएगी, वर्तमान अध्यक्ष न्यायमूर्ति वेणुगोपाल को छुट्टी पर भेजा जाएगा।’’

पीठ ने कहा, ‘‘इस दलील को स्वीकार किया जाता है और (सरकार द्वारा) इसके परिणामी आदेश जारी किए जाएंगे। वर्तमान अध्यक्ष 20 सितंबर तक छुट्टी पर रहेंगे और यह आदेश इस मामले के असाधारण तथ्यों और हालात को ध्यान में रखते हुए पारित किया गया है।’’

शुरुआत में मुख्य न्यायाधीश ने अटॉर्नी जनरल की दलील के बाद कहा, ‘‘तब हम इसे संज्ञान में लेंगे और मामले को बंद कर देंगे।’’

हालांकि, अटॉर्नी जनरल द्वारा आगे यह दलील देने के बाद पीठ नाराज हो गई कि 11 से 20 सितंबर तक चीमा की बहाली कार्यालय की वास्तविक शक्तियों के बिना केवल सेवानिवृत्ति लाभ पाने में सक्षम होने के लिए होगी, क्योंकि अब पद से न्यायमूर्ति वेणुगोपाल को हटाना बेहद ‘‘अजीब’’ होगा।

इस पर पीठ ने कहा, ‘‘अटार्नी जी, हमें बताइए, यह कितना उचित है? उन्हें कुछ निर्णय सुनाने हैं। यदि आप उन्हें सेवानिवृत्त करते हैं, तो उन मामलों की दोबारा सुनवाई करने में समस्या होगी। जिस तरह ये आदेश पारित किए गए, वह भी अजीब था। अगर आपकी सरकार को लगता है कि वे उस पर टिके रहना चाहती हैं, तो कोई बात नहीं है।’’

के के वेणुगोपाल ने कहा कि इसके अलावा सरकार के पास न्यायाधिकरण सुधार कानून के तहत सेवाओं को समाप्त करने की शक्ति है।

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तब हमें आपके (केंद्र के) कानून (न्यायाधिकरण सुधार कानून) पर रोक लगानी होगी।’’

अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘‘मुझे निर्देश लेने दीजिए। किसी व्यक्ति को हटाना, हमारे लिए बहुत अजीब होगा। मैं स्थगन याचिका पर भी बहस करने के लिए तैयार हूं। सरकार के पास कुछ शक्तियां हैं।’’ उन्होंने निर्देश पाने के लिए 30 मिनट का समय मांगा।

दोबारा सुनवाई चालू होने पर शीर्ष विधि अधिकारी ने सरकार के बदले हुए रुख के बारे में बताया और कहा कि न्यायमूर्ति चीमा को 20 सितंबर तक लंबित फैसले सुनाने के लिए एनसीएलएटी के प्रमुख के रूप में सभी शक्तियों के साथ बहाल किया जाएगा और एम वेणुगोपाल को तब तक छुट्टी पर जाने को कहा जाएगा।

इसके बाद शीर्ष अदालत ने इसे आदेश में दर्ज किया और मामले को बंद कर दिया।

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Web Title: The Center admitted in the court, the prematurely retired chairperson will continue in the post till September 20

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