कपड़ा क्षेत्र 100 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को लेकर आगे बढ़े: गोयल
By भाषा | Published: September 3, 2021 10:37 PM2021-09-03T22:37:08+5:302021-09-03T22:37:08+5:30
कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को कहा कि क्षेत्र का निर्यात 2021-22 में 44 अरब डॉलर पर पहुंचेगा और अगले पांच साल में मंत्रालय तथा उद्योग दोनों 100 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को पाने लेकर सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तकनीकी कपड़ों तथा मानव निर्मित फाइबर खंड में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंत्रिमंडल जल्द मंजूरी देगा। इस कदम से घरेलू विनिर्माण और निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि प्रस्तावित वृहद निवेश कपड़ा पार्क योजना मंजूरी के चरण में है। इसके तहत देश में ऐसे सात पार्क स्थापित किये जाएंगे। योजना की घोषणा वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में की गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘कपड़ा क्षेत्र जिस तरह से बड़े लक्ष्यों को प्राप्त करने का विचार लेकर आगे बढ़ रहा है, उससे खुशी हुई है। हमें अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ना चाहिए।’’ मंत्री ने यह भी कहा कि निर्यात को अपने पैरों पर खड़ा होना है और स्वतंत्र रूप से व्यवहारिक बनना चाहिये क्योंकि सब्सिडी की मांग हमेशा मददगार नहीं होती। मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) के बारे में गोयल ने कहा कि भारत एफटीए या तरजीही व्यापार समझौतों (पीटीए) को लेकर विभिन्न देशों से बातचीत कर रहा है। इस संदर्भ में ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, संयुक्त अरब अमीरात, आस्ट्रेलिया समेत अन्य देशों से बातचीत हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि ब्याज सामान्यीकरण योजना (ब्याज सब्सिडी योजना) तथा बीमा दायरा बढ़ाने को लेकर वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत हो रही है। मंत्री ने कहा कि वह प्रोत्साहन से जुड़े निर्यातकों के पुराने बकाये के मुद्दे के समाधान के लिये वित्त मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ब्याज सामान्यीकरण योजना सितंबर अंत तक बढ़ायी गयी और आगे इस पर क्या हो सकता है, वित्त मंत्रालय के साथ हम काम कर रहे हैं। निश्चित तौर पर ब्याज दर अभी नीचे है। इसीलिए हमें योजना पर फिर से विचार करना होगा ताकि इसे मौजूदा ब्याज दर के संदर्भ में प्रासंगिक बनाया जा सके।’’ कंटेनरों की कमी और माल ढुलाई दरों में वृद्धि के बारे में गोयल ने कहा कि वह इस मामले में सभी पक्षों के साथ बैठक करेंगे। हालांकि, उन्होंने कहा कि सरकार कंपनियों को दरें कम करने के लिये दबाव नहीं दे सकती और मंत्रालय इस बारे में पोत परिवहन मंत्रालय के साथ काम करेगा।
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