पुणे में 2,500 कर्मचारियों को टीसीएस ने नौकरी से निकाला?, आईटी कर्मचारियों के संगठन एनआईटीईएस ने महाराष्ट्र सीएम को लिखे पत्र में किया दावा
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 1, 2025 21:42 IST2025-10-01T21:41:25+5:302025-10-01T21:42:13+5:30
Tata Consultancy Services: 'नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लाइज सीनेट' (एनआईटीईएस) के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे एक पत्र में छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए समय रहते हस्तक्षेप करने की मांग की।

सांकेतिक फोटो
नई दिल्लीः देश की अग्रणी सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने पुणे में लगभग 2,500 कर्मचारियों को कथित तौर पर नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया है। आईटी कर्मचारियों के संगठन एनआईटीईएस ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में यह दावा किया। इस पर टीसीएस ने कहा कि संगठन के भीतर कौशल पुनर्गठन की हाल में चलाई गई पहल से केवल सीमित संख्या में ही कर्मचारी प्रभावित हुए हैं। 'नैसेंट इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लाइज सीनेट' (एनआईटीईएस) के अध्यक्ष हरप्रीत सिंह सलूजा ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे एक पत्र में छंटनी से प्रभावित कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए समय रहते हस्तक्षेप करने की मांग की।
सलूजा ने कहा कि एनआईटीईएस के प्रतिनिधित्व के आधार पर केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने महाराष्ट्र के श्रम सचिव को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। एनआईटीईएस ने कहा, ‘‘दुख की बात है कि इस निर्देश के बावजूद जमीनी हकीकत अधिक चिंताजनक हो गई है।
अकेले पुणे में ही, पिछले कुछ हफ़्तों में लगभग 2,500 कर्मचारियों को इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है या उन्हें अचानक नौकरी से निकाल दिया गया है।’’ इस बारे में टिप्पणी के लिए संपर्क किए जाने पर टीसीएस ने कहा, ‘‘जानबूझकर साझा की गई यह सूचना गलत और शरारतपूर्ण है। हमारे संगठन में कौशल पुनर्गठन की हमारी हालिया पहल से केवल सीमित संख्या में ही कर्मचारी प्रभावित हुए हैं।’’
टाटा समूह की आईटी कंपनी ने कहा, ‘‘जो लोग प्रभावित हुए हैं, उन्हें उचित देखभाल और सेवामुक्ति भत्ता दिया गया है जो उन्हें प्रत्येक व्यक्तिगत परिस्थिति में मिलना चाहिए।’’ कंपनी ने इस साल जून में अपने वैश्विक कार्यबल में लगभग दो प्रतिशत यानी 12,261 कर्मचारियों की छंटनी करने की घोषणा की थी, जिनमें से ज़्यादातर प्रभावित मध्यम और वरिष्ठ ग्रेड के हैं।
एनआईटीईएस ने कहा कि प्रभावित कर्मचारी सिर्फ संख्याएं न होकर माता-पिता, कमाने वाले, देखभाल करने वाले और पूरे महाराष्ट्र में हज़ारों परिवारों की रीढ़ हैं। एनआईटीईएस ने कहा, ‘‘प्रभावित कर्मचारियों में से कई मध्यम से वरिष्ठ स्तर के पेशेवर हैं जिन्होंने कंपनी को 10-20 साल समर्पित सेवा दी है।
बड़ी संख्या में कर्मचारी 40 वर्ष से अधिक आयु के हैं, जिन पर मासिक किस्त, स्कूल की फीस, चिकित्सा खर्च और बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारियों का बोझ है। उनके लिए आज के प्रतिस्पर्धी बाजार में वैकल्पिक रोजगार ढूंढना लगभग असंभव है।’’ एनआईटीईएस ने आरोप लगाया है कि टीसीएस द्वारा कर्मचारियों की बर्खास्तगी औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 का घोर उल्लंघन है क्योंकि इस संबंध में सरकार को कोई सूचना नहीं दी गई है। संगठन का दावा है कि टीसीएस ने कर्मचारियों को कोई वैधानिक छंटनी मुआवजा नहीं दिया है,
और कर्मचारियों को डर एवं दबाव में ‘स्वैच्छिक इस्तीफा’ देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मांग की है कि वे प्रभावित परिवारों के साथ इस ‘सबसे बुरे समय’ में खड़े हों और राज्य के श्रम विभाग को तत्काल जांच करने और कथित अवैध बर्खास्तगी को रोकने का निर्देश दें।