विदेशी बाजारों में दाम तेज होने से कुछ स्थानीय तेल-तिलहन के भाव में सुधार

By भाषा | Updated: October 16, 2021 15:43 IST2021-10-16T15:43:07+5:302021-10-16T15:43:07+5:30

Some local oil-oilseeds prices improve due to increase in prices in foreign markets | विदेशी बाजारों में दाम तेज होने से कुछ स्थानीय तेल-तिलहन के भाव में सुधार

विदेशी बाजारों में दाम तेज होने से कुछ स्थानीय तेल-तिलहन के भाव में सुधार

नयी दिल्ली, 16 अक्टूबर विदेशी बाजारों में तेल-तिलहन के भाव में तेजी आने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शनिवार को सरसों, सोयाबीन, बिनौला और सीपीओ सहित अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का रुख रहा और भाव लाभ दर्शाते बंद हुए। बाकी तेल-तिलहनों के भाव अपरिवर्तित रहे।

बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कमी किये जाने के बाद विदेशों में तेल-तिलहनों के भाव मजबूत हो गए जिससे स्थानीय कारोबार में भी सुधार आया। सूत्रों ने कहा, लेकिन शुल्क घटाने का फायदा किसानों, उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाया है जिसको लेकर खुद सरकार ने चिंता जताते हुए आठ प्रमुख उत्पादक राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि शुल्क में कटौती का लाभ ग्राहकों को मिले।

सूत्रों ने कहा कि कैनोला तेल पर 38.50 प्रतिशत आयात शुल्क होने के कारण इसका आयात नहीं हो रहा है क्योंकि उसकी जगह सोयाबीन पर यह शुल्क मात्र 5.50 प्रतिशत है। दोनों तेलों के शुल्क में 38 रुपये प्रति किलो का अंतर है तथा कैनोला का आयात नहीं होने के कारण इसके उपभोक्ता सरसों की ओर अपना रुख कर रहे हैं।

साल्वेंट एक्स्ट्रैक्टर्स एसोसिएशन (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बी वी मेहता ने भी कहा है कि शुल्क कटौती का संभवत: यह उपयुक्त समय नहीं है क्योंकि इससे उन किसानों की आय प्रभावित हो सकती है जिनकी नयी फसल मंडी में आने को तैयार हैं। आयात शुल्क में कमी होने से तेल-तिलहन के दाम प्रभावित हो सकते हैं और किसानों को कम कीमत की प्राप्ति हो सकती है।

उन्होंने कहा कि सरसों का 10-12 लाख टन का स्टॉक अब बच गया है और अगली फसल आने में चार से साढ़े चार माह की देर है। सरसों की कम उपलब्धता के साथ-साथ इसके महंगा होने के कारण सरसों की मांग आगे जाकर घटेगी। देश की विभिन्न मंडियों में सरसों की दैनिक आवक घटकर 1-1.5 लाख बोरी रह गई है जबकि दैनिक खपत औसतन लगभग चार लाख बोरी की है। उन्होंने कहा कि इस बार सरसों की फसल एक महीने देर से आयेगी क्योंकि बिजाई देर से हुई है। लेकिन सरसों का उत्पादन लगभग दोगुना हो जाने की उम्मीद है।

सूत्रों ने कहा कि मंडियों में सोयाबीन की आवक सात लाख बोरी से घटकर लगभग चार लाख बोरी रह गई है क्योंकि किसान कम भाव में सोयाबीन बेचने से कतरा रहे हैं।

विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के कारण यहां सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी सुधार आया। बाकी तेल-तिलहनों के दाम पूर्ववत रहे।

उन्होंने कहा कि कल रात शिकॉगो 1.4 प्रतिशत तेज बंद हुआ था जबकि मलेशिया एक्सचेंज में आज छुट्टी है।

बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)

सरसों तिलहन - 8,730 - 8,755 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।

मूंगफली - 6,285 - 6,370 रुपये।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,300 रुपये।

मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,080 - 2,210 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 17,550 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,655 -2,705 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,740 - 2,850 रुपये प्रति टिन।

तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,500 - 18,000 रुपये।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,680 रुपये।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,250 रुपये।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,200

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,150 रुपये।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,500 रुपये।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,900 रुपये।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,800 (बिना जीएसटी के)।

सोयाबीन दाना 5,300 - 5,450, सोयाबीन लूज 5,050 - 5,150 रुपये।

मक्का खल (सरिस्का) 3,825 रुपये।

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Web Title: Some local oil-oilseeds prices improve due to increase in prices in foreign markets

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