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सीतारमण ने उद्योग-जगत से आत्मविश्वास दिखाने, नये निवेश का जोखिम उठाने का आह्वान किया

By भाषा | Updated: February 20, 2021 17:44 IST

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नयी दिल्ली, 20 फरवरी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को भारतीय उद्योग जगत से  पूरा आत्मविश्वास दिखाने और नये नये निवेश करके भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा निजी क्षेत्र को कॉरपोरेट कर में कटौती और सरकार की दूसरी पहलों से फायदा उठाना चाहिए।

उन्होंने अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के एक कार्यक्रम में शामिल उद्योग जगत की दिग्गज हस्तियों से कहा कि सरकार ने निवेश के अनुकूल वातावरण बनाने के लिए कंपनी आयकर की दरों में कमी करने सहित कई कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहूंगी कि अब भारत में निजी निवेशक और निजी उद्योग पूरे आत्मविश्वास के साथ कदम बढ़ायें , ताकि यह साबित किया जा सके कि भारत के लिए यह (सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनना) संभव है।’’

वित्त मंत्री ने कहा,‘‘हमें क्षमता बढ़ाने की जरूरत है, हमें विस्तार की जरूरत है, हमें बहुत से ऐसे उत्पादों के विनिर्माण की जरूरत जरूरत है, जो अर्थव्यवस्था के लिए बहुत जरूरी हैं।’’

उन्होंने कहा,‘‘कर  में कमी करने के बाद मैं कामधंधों के विस्तार का इंतजार कर रही हूं, मैं भारत में निजी क्षेत्र से अधिक निवेश देखने का इंतजार कर रही हूं।’’

सरकार ने वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2019 में कॉरपोरेट कर की दर में भारी कटौती की थी।

सरकार ने मौजूदा कंपनियों के लिए आधार कॉरपोरेट दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया है, जबकि एक अक्टूबर 2019 के बाद गठित तथा और 31 मार्च 2023 से पहले परिचालन शुरू करने वाली विनिर्माण कंपनियों के लिए दर को 25 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि हाल के बजट ने कई मुद्दों का समाधान किया गया है, जो भारत के लिए अगले दशक या उससे अधिक समय के लिए बहुत महत्वपूर्ण थे।

उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 का बजट कोविड-19 महामारी और अर्थव्यवस्था में संकुचन की पृष्ठभूमि में आया और इससे कारोबारियों में यह भरोसा पैदा हुआ कि नीतियों में कोई बड़ा उलटफेर नहीं होगा और वे अपनी मुख्य गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना जारी रख सकते हैं।

सीतारमण ने विनिवेश के संबंध में कहा कि सरकार ने उन मुख्य क्षेत्रों की पहचान की है, जहां उसकी न्यूनतम उपस्थिति होगी और बाकी क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी की इजाजत दी जाएगी।

उन्होंने विनिवेश को लेकर आगे कहा, ‘‘मैं एक कुशल, अधिक सार्थक, उद्देश्यपूर्ण तरीके से अपने करदाताओं के पैसे को खर्च करना चाहती हूं... इन इकाइयों के विनिवेश या इकाइयों के निजीकरण की वजह यह नहीं है कि हम उन्हें बंद करना चाहते हैं।’’

उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि इन इकाइयों को चालू रखा जाए, पेशेवर रूप से चलाया जाए और जिन क्षेत्रों में पीएसयू दशकों से हैं, जैसे स्टील, कोयला या तांबा, या ऐसी कई वस्तु, वहां इनकी मांग काफी अधिक है।

वित्त मंत्री ने इस महीने की शुरुआत में 2021-22 के लिए 34.8 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया।सीतारमण ने कहा कि वृद्धि को बनाए रखने के लिए इस साल और साथ ही अगले साल खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है।

राजकोषीय घाटे के प्रबंधन पर उन्होंने कहा कि सरकार ने एक शानदार रास्ता दिया है और रेटिंग एजेंसियों को महामारी की रोशनी में बजट के आंकड़ों को देखना चाहिए।

कोविड-19 महामारी और उसके चलते लागू लॉकडाउन के कारण राजकोषीय घाटे के 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 9.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। सरकार का अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत रहेगा।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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