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मजबूत हो रही भारतीय कंपनियों की धारणा: ग्रांट थोर्नटन भारत

By भाषा | Updated: September 8, 2021 22:57 IST

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नयी दिल्ली, आठ सितंबर देश में कंपनियों की धारणा मजबूत हुई है और महामारी-पूर्व स्थिति के करीब पहुंच रही है। यह अगली तिमाही में मजबूत प्रदर्शन का संकेत देता है। कर और परामर्श से जुड़ी कंपनी ग्रांट थोर्नटन भारत के सर्वे में यह निष्कर्ष आया है।

डिजिटल मंचों के माध्यम से 3,700 से अधिक प्रतिभागियों के बीच किये गये सर्वे में पाया गया कि सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल पारदर्शी कराधान व्यवस्था है। इसके अलावा, सर्वे में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना, डिजिटल लेन-देन पर कर (एक्विलाइजेशन लेवी) और नई श्रम संहिताओं को महत्वपूर्ण पहल बताया गया।

ग्रांट थोर्नटन भारत ने एक बयान में कहा, ‘‘भारतीय कंपनियों की धारणा अब सतर्क रुख से आशावादी हो रही है और यह महामारी-पूर्व स्तर के करीब है। यह अगली तिमाही में और मजबूत प्रदर्शन का संकेत देती है।’’

सर्वे में शामिल प्रतिभागियों में से आधे को लगता है कि महामारी का अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ा है। उनमें से 60 प्रतिशत ने कहा कि कर और अनुपालन में कमी से कारोबार को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है। सरकार की पहल ने भी आर्थिक पुनरूद्धार को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।’’

सर्वे वर्ष 2021 के दौरान राजस्व बढ़ने को लेकर वैश्विक और घरेलू आशावाद में वृद्धि को दर्शाता है।

वहीं, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने एक रिपोर्ट में कहा कि कंपनियों ने जून तिमाही में अपने लाभ को बनाये रखने के लिए वेतन में कटौती का सहारा लिया। क्योंकि महामारी की दूसरी लहर के कारण उनकी आय पर दबाव पड़ा, जिसने लगभग पूरे देश को प्रभावित किया।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वेतन वृद्धि कमजोर होने से मध्यम अवधि में समग्र आर्थिक सुधार पर दबाव पड़ेगा क्योंकि यह घरेलू खपत को प्रभावित करेगी। इसमें यह भी कहा गया है कि महामारी को लेकर अनिश्चितता का माहौल, ऊंची मुद्रास्फीति से खर्च का स्तर कम रह सकता है जिसका कुल मिलाकर समग्र मांग पर बुरा असर पड़ सकता है।

इंडिया रेटिंग का यह अध्ययन गैर- वित्तीय क्षेत्र की 2,036 कंपनियों के एकल वित्तीय नतीजों के विश्लेषण पर आधारित है। सभी कंपनियों को उनके वित्त वर्ष 2018- 19 के सालाना राजस्व के आकार के मुताबिक आठ हिस्सों में बांटा गया। इसमें कहा गया, ‘‘कंपनियों का लोचपन जहां उत्साहवर्धक है वहीं कर्मचारी लागत पर प्रतिकूल प्रभाव चिंता की बात है। यह रोजगार के नुकसान अथवा वेतन कटौती या फिर दोनों का परिणाम हो सकता है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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