सेबी ने कंपनियों के कर्ज भुगतान में असफल रहने संबंधी जानकारी देने के नियमों को और सख्त किया

By भाषा | Updated: November 20, 2019 19:35 IST2019-11-20T19:35:08+5:302019-11-20T19:35:08+5:30

सेबी ने व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट (बीआरआर) जमा करने के दायरे को भी बढ़ाया है। अब 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को बीबीआर रिपोर्ट जमा करनी होगी।

SEBI tightens norms on default disclosure rules of listed companies | सेबी ने कंपनियों के कर्ज भुगतान में असफल रहने संबंधी जानकारी देने के नियमों को और सख्त किया

सेबी ने कंपनियों के कर्ज भुगतान में असफल रहने संबंधी जानकारी देने के नियमों को और सख्त किया

Highlightsसेबी ने कर्ज नहीं चुका पाने की जानकारी देने संबंधी नियमों को और सख्त कियाबीआरआर जमा करने के दायरे को भी बढ़ाया गया, 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को रिपोर्ट जमा करनी होगी

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए उनके समय पर कर्ज नहीं चुका पाने की जानकारी देने संबंधी नियमों को और सख्त किया है। नियामक ने इसके साथ ही पोर्टफोलियो प्रबंधकों और राइट इश्यू जारी करने के अपने नियमों में भी संशोधन को मंजूरी दे दी है। सेबी निदशक मंडल की यहां हुई बैठक में इन प्रस्तावों को मंजूरी दी गई।

सेबी ने व्यावसायिक उत्तरदायित्व रिपोर्ट (बीआरआर) जमा करने के दायरे को भी बढ़ाया है। अब 500 की जगह शीर्ष 1,000 कंपनियों को बीबीआर रिपोर्ट जमा करनी होगी। सेबी निदेशक मंडल की बैठक के बाद सेबी चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा कि कर्ज भुगतान में असफलता को लेकर नए खुलासा नियमों का उद्देश्य 'निवेशकों की मदद के लिये और पारदर्शिता लाना है ।' 

नियामक ने कहा , 'कर्ज के मूलधन या ब्याज की अदायगी में 30 दिनों से ज्यादा की देरी होने पर सूचीबद्ध कंपनियों को 24 घंटे के भीतर' कर्ज भुगतान नहीं कर पाने के बारे में तथ्यों' का खुलासा करना होगा। सेबी ने कहा कि यह फैसला सूचीबद्ध कंपनियों के समय पर कर्ज किस्त का भुगतान नहीं कर पाने से जुड़ी जानकारी नहीं मिल पाने की कमी को दूर करने के लिए किया है।

नया नियम एक जनवरी जनवरी, 2020 से लागू होगा। उल्लेखनीय है कि आईएलएंडएफएस समेत कई कंपनियों द्वारा समय पर कर्ज का भुगतान नहीं कर पाने जैसी कई घटनाएं सामने आई हैं। कई मामलों में कर्ज चुकाने में देरी की जानकारी बहुत देरी से दी गई। बैठक में लिए गये अन्य फैसलों के तहत, सेबी मौजूदा शेयरधारकों को उनके अधिकार के मुताबिक शेयर जारी करने के नियमों को संशोधित करेगा।

राइट इश्यू की समय सीमा को 55 दिन से घटाकर 31 दिन किया जाएगा। इसके अलावा , बाजार नियामक पोर्टफोलियो प्रबंधकों के लिए नियमों को संशोधित करेगा। इसमें इस तरह की इकाइयों के लिए निवल संपत्ति और न्यूनतम निवेश आवश्यकता को बढ़ाया जा सकता है।

Web Title: SEBI tightens norms on default disclosure rules of listed companies

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