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एसबीआई ने आंध्र प्रदेश सरकार के 6,500 करोड़ रुपये ‘ओवरड्राफ्ट’ सुविधा के आग्रह को खारिज किया

By भाषा | Updated: September 30, 2021 19:16 IST

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अमरावती, 30 सितंबर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने आंध्र प्रदेश सरकार के केंद्र प्रायोजित योजनाओं (सीसएस) के राज्य में क्रियान्वयन को लेकर 6,500 करोड़ रुपये के ओवरड्राफ्ट की सुविधा की मांग को खारिज कर दिया।

ओवरड्राफ्ट से आशय अल्पकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिये ऋण सुविधा से है।

सरकारी खजाना खाली होने को देखते हुए राज्य सरकार ने पांच नोडल क्रियान्वयन एजेंसियों के कार्यशील पूंजी के रूप में उपयोग को लेकर ओवरड्राफ्ट की मांग की थी। यह मांग एकल नोडल खाते (एसएनए) में उपलब्ध कोष के प्रतिभूतिकरण के एवज में की गयी थी।

राज्य ने विशेष खाते के रूप में (एस्क्रो) एसएनए में केंद्रीय कोष को रखने और ओवरड्राफ्ट बढ़ाने

की मांग की। वित्त सचिव (बजट और संस्थागत वित्त) केवीवी सत्यनारायण ने इस महीने की शुरूआत में एसबीआई को पत्र लिखकर 6,500 करोड़ रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा की मांग की।

वित्त सचिव के ‘असामान्य और अनसुने’ अनुरोध ने शीर्ष नौकरशाहों को चकित किया है क्योंकि इसने राज्य सरकार की खराब वित्तीय स्थिति को और उजागर कर दिया।

एक शीर्ष नौकरशाह ने कहा, ‘‘वैसे (नियमित) कर्ज की मांग अलग चीज है लेकिन केंद्रीय निधि को विशेष खाते में डालकर उस पर ओवरड्राफ्ट प्राप्त करने की कोशिश करना पूरी तरह से मूर्खतापूर्ण है। यह केंद्र की नाराजगी का कारण भी बन सकता है और योजनाओं को अधर में डाल सकता है।’’

केंद्र प्रायोजित योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर राज्य सरकार को प्रत्येक योजना की कुल लागत का एक हिस्सा (40 प्रतिशत तक) वहन करना पड़ता है।

केंद्रीय व्यय विभाग ने इस साल केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिये राज्यों को कोष प्रवाह सुनिश्चित करने को लेकर नया नियम पेश किया। इसके तहत प्राथमिक रूप से राज्य को प्रत्येक योजना के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में एक एकल नोडल खाता खोलने की आवश्यकता है। यह खाता केंद्र की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से संबद्ध होता है।

नये नियम का मकसद प्रभावी नकद प्रबंधन सुनिश्चित करना और सार्वजनिक व्यय प्रबंधन में पारदर्शिता लाना है। अधिकारियों के अनुसार केंद्र की नई व्यवस्था मूल रूप से सीएसएस के लिये निर्धारित राशि के राज्य सरकार द्वारा दूसरे कार्यों में उपयोग को रोकना है।

व्यय विभाग (डीओई) के नियम के अनुसार राशि एसएनए में उपलब्ध कोष (केंद्र और राज्य हिस्सेदारी) के आधार पर जारी की जाती है।

केंद्र वित्त वर्ष की शुरूआत में योजना के लिये 25 प्रतिशत राशि जारी करता है। केंद्र की अतिरिक्त राशि एसएनए में राज्य की निर्धारित हिस्सेदारी के अंतरण नर निर्भर करती है।

नये नियम से आंध्र प्रदेश की खराब वित्तीय स्थिति सामने आयी है। इसका मतलब है कि राज्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिये एसएनए में निर्धारित राशि हस्तांतरित करने की स्थिति में नहीं है।

प्रधान सचिव ने कहा, ‘‘इस साल अब तक 6,000 करोड़ रुपये से अधिक केंद्रीय कोष फंसा पड़ा है क्योंकि हम विभिन्न केंद्र प्रायोजित योजनाओं में अपनी हिस्सेदारी डालने में असमर्थ हैं। जब तक हम न केवल कोष (राज्य का हिस्सा) जारी करते हैं बल्कि इसे मानदंडों के अनुसार खर्च नहीं करते हैं, केंद्र से राशि प्राप्त करने का कोई तरीका नहीं है।

उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश में किसी भी केंद्र प्रायोजित योजना में प्रगति नहीं हुई है। इसका कारण कोष की भारी कमी है। इसको देखते हुए राज्य केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिये अपनी हिस्सेदारी को लेकर बैंकों से कर्ज चाह रहा है।

वित्त सचिव के पत्र के जवाब में एसबीआई ने कहा, ‘‘ओवरड्राफ्ट सुविधा के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह बैंक के नीति दिशानिर्देशों और राज्य के स्वामित्व वाले निगमों को उधार देने के लिये तय निर्देशों के अनुरूप नहीं है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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