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जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7.44% हुई, सब्जियों के बढ़े दाम ने खूब रुलाया, थोक मुद्रास्फीति नकारात्मक दायरे में

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: August 14, 2023 6:43 PM

जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़कर 7.44 प्रतिशत होने के साथ, खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीनों में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक के 2-6 प्रतिशत के बैंड की ऊपरी सीमा को पार कर गई। थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी रही।

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ठळक मुद्देखुदरा मुद्रास्फीति जून में 4.87 प्रतिशत से बढ़कर 7.44 प्रतिशत हो गयाथोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी रहीईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही

नई दिल्ली: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने सोमवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि जुलाई में भारत का उपभोक्ता-आधारित मूल्य सूचकांक, या खुदरा मुद्रास्फीति जून में 4.87 प्रतिशत से बढ़कर 7.44 प्रतिशत हो गया। मुद्रास्फीति में वृद्धि मुख्य रूप से पिछले महीने सब्जियों, खासकर टमाटर की कीमतों में तेज उछाल के कारण हुई।

जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक बढ़कर 7.44 प्रतिशत होने के साथ, खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीनों में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक के 2-6 प्रतिशत के बैंड की ऊपरी सीमा को पार कर गई। उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (सीएफपीआई) जून में 4.49 प्रतिशत से बढ़कर 11.51 प्रतिशत हो गया। जुलाई में भारत की ग्रामीण मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 4.78 प्रतिशत से बढ़कर 7.63 प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 4.96 प्रतिशत से बढ़कर 7.20 प्रतिशत हो गई।

ऐसा आरबीआई द्वारा अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दरों को 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने के बाद आया है। वित्त वर्ष 2024 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि मुद्रास्फीति में वृद्धि सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण होगी, जिसके अगले कुछ महीनों में और बढ़ने की उम्मीद है।

दूसरी तरफ  खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने के बावजूद थोक मुद्रास्फीति जुलाई में लगातार चौथे माह नकारात्मक दायरे में बनी रही। जुलाई में थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही है। सब्जियों की कीमतों में 62.12 प्रतिशत की वृद्धि के कारण थोक मुद्रास्फीति जून में शून्य से 4.12 प्रतिशत नीचे रही थी। पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी। 

ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही, जो जून में शून्य से 12.63 प्रतिशत नीचे थी। विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति मई में -2.51 प्रतिशत नीचे रही। जून में यह शून्य 2.71 प्रतिशत नीचे थी।  आरबीआई ने खाद्य वस्तुओं के दाम के कारण उत्पन्न दबाव का हवाला देते हुए चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 5.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया है। जुलाई-सितंबर तिमाही में महंगाई दर 6.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पहले के 5.2 प्रतिशत के अनुमान से ज्यादा है।

टॅग्स :मुद्रास्फीतिभारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)महंगाई
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