रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार अवसंरचना, खुदरा भुगतान प्रणाली के निगरानी ढांचे में किया सुधार
By भाषा | Published: June 14, 2020 04:42 AM2020-06-14T04:42:02+5:302020-06-14T04:42:02+5:30
इस सुधार के बाद वित्तीय बाजार संरचना और खुदरा भुगतान प्रणाली किसी तरह के बदलाव को झेलने में समक्ष हो सकेंगे।
मुंबई: भारतीय रिजर्व बैंक ने वित्तीय बाजार अवसंरचना (एफएमआई) तथा खुदरा भुगतान प्रणाली (आरपीएस) के निगरानी ढांचे में कुछ बदलाव किये हैं। इसके पीछे मकसद भुगतान ढांचे की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना है। केंद्रीय बैंक ने शनिवार को वित्तीय बाजार संरचना और खुदरा भुगतान प्रणाली की निगरानी का संस्करण 2.0 जारी करते हुए कहा, ‘‘इस दस्तावेज से निगरानी और खुलासे में पारदर्शिता बढ़ेगी और भुगतान प्रणाली परिचालकों द्वारा नियामकीय अनुपालन को बेहतर किया जा सकेगा।
इससे ग्राहकों की जागरूकता भी बढ़ेगी जिससे अंतत: हमारी भुगतान प्रणाली की सुरक्षा, स्थिरता और बेहतर हो सकेगी। दस्तावेज के अनुसार रिजर्व बैंक मौजूदा और योजनागत प्रणाली, वित्तीय बाजार अवसंरचना और खुदरा भुगतान प्रणाली के आकलन के जरिये निगरानी या निरीक्षण करेगा। जरूरी होने पर सुधार के लिए वह इसमें बदलाव भी करेगा। दस्तावेज कहता है, ‘‘यह महत्वपूर्ण है कि वित्तीय बाजार संरचना और खुदरा भुगतान प्रणाली किसी तरह के बदलाव को झेलने में समक्ष हो।
यह सुधार इसलिए हुआ जिससे बाजार वित्तीय और परिचालन के झटकों को झेल सकें
यह सुधार मुख्य तौर पर इसलिए भी किया गया जिससे कि वे वित्तीय और परिचालन के झटकों को झेल सकें, जिससे वे अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण सेवाएं जारी रख सकें और व्यापक वित्तीय स्थिरता और आर्थिक विकास में योगदान दे सकें।’’ इसमें कहा गया है कि भुगतान प्रणाली के सुगमता से परिचालन में केंद्रीय बैंक की महत्वपूर्ण भूमिका है।
सामान्य तौर पर वित्तीय बाजार संरचना से तात्पर्य प्रणाली की दृष्टि से महत्वपूर्ण भुगतान प्रणाली (एसआईपी), सेंट्रल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (सीडीएस), सिक्योरिटीज सेटलमेंट सिस्टम्स (एसएसएस), सेंट्रल काउंटर पार्टीज (सीसीपी) और ट्रेड रिपॉजिटरीज (टीआर) से होता है, जो समाशोधन, निपटान और वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करते हैं।
खुदरा भुगतान प्रणाली से तात्पर्य मोबाइल फोन, इंटरनेट, एटीएम, पीओएस नेटवर्क, संपर्क रहित प्रौद्योगिकी (कार्ड से भुगतान आदि), इलेक्ट्रॉनिक बिलिंग और तुरंत भुगतान के लिए इस्तेमाल होने वाली विभिन्न प्रणालियों और मंचों के जरिये किए जाने वाले लेनदेन से है।