मुंबई, आठ अक्टूबर भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह महामारी के दौरान प्रणाली में डाली गई अतिरिक्त नकदी का प्रबंधन बिना व्यवधान डाले व्यवस्थित तरीके से करेगा।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि वित्तीय स्थिरता को संरक्षित रखते हुए प्रणाली में तरलता का प्रबंधन वृहद आर्थिक घटनाक्रमों के अनुरूप किया जाएगा।
महामारी की शुरुआत के बाद से रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था में सतत और तेज पुनरुद्धार के लिए पर्याप्त नकदी समर्थन दिया है।
दास ने कहा, ‘‘निश्चित दर रिवर्स रेपो, 14 दिन की वैरिएबल रेट रिवर्स रेपो (वीआरआरआर) और तरलता समायोजन सुविधा (एलएएफ) को औसतन नौ लाख करोड़ रुपये किए जाने के बाद सितंबर, 2021 में बैंकिंग प्रणाली में नकदी और बढ़ी है। जून से अगस्त, 2021 के दौरान एलएएफ सात लाख करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा कि अक्टूबर में अबतक (छह अक्टूबर तक) अधिशेष नकदी 9.5 लाख करोड़ रुपये के दैनिक औसत पर पहुंच गई। उन्होंने कहा कि प्रणाली में अधिशेष नकदी की संभावना 13 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ बाजार भागीदारों तथा नीति निर्माताओं में यह सहमति बन रही है कि महामारी के दौरान जो अतिरिक्त नकदी डाली गई है उसे वृहद आर्थिक घटनाक्रमों के अनुरूप कम किया जाए।
महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि केंद्रीय बैंक ने सरकारी प्रतिभूतियों के अधिग्रहण कार्यक्रम (जी-सैप) को रोकने का फैसला किया है। इस कदम से प्रणाली में और तरलता का प्रवाह रुकेगा। हालांकि, दास ने स्पष्ट किया कि यह कदम नरम मौद्रिक रुख को पलटने के लिए नहीं उठाया गया है।
रिजर्व बैंक ने जी-सैप कार्यक्रम के जरिये पिछली दो तिमाहियों में 2.2 लाख करोड़ रुपये के बांड खरीदे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, रिजर्व बैंक तरलता की स्थिति के मद्देनजर जरूरी होने पर जी-सैप के लिए तैयार है। इसके अलावा वह ऑपरेशन ट्विस्ट (ओटी) तथा नियमित मुक्त बाजार परिचालन (ओएमओ) को जारी रखेगा।’’
चालू वित्त वर्ष के पहले छह माह में जी-सैप सहित ओएमओ के जरिये प्रणाली में 2.37 लाख करोड़ रुपये डाले गए हैं। वहीं पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में इसके जरिये 3.1 लाख करोड़ रुपये डाले गए थे।
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