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RBI MPC Decision: आरबीआई ने त्योहार पर दी राहत, सोने के बदले कर्ज को दोगुना कर चार लाख रुपये किया, जानें क्या होगा इसका असर

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: October 6, 2023 15:20 IST

RBI MPC Decision: सीमा उन शहरी सहकारी बैंकों के लिये बढ़ायी गयी है, जिन्होंने प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज के तहत सभी लक्ष्यों को 31 मार्च 2023 तक पूरा किया है।

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ठळक मुद्देगोल्ड लोन की मौजूदा सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये करने का निर्णय किया गया है।‘बुलेट’ पुनर्भुगतान योजना के तहत कर्ज लेने वाला मूल राशि और ब्याज का भुगतान कर्ज अवधि के अंत में एकमुश्त करता है।मूल राशि और ब्याज का भुगतान एकबारगी करना होता है।

RBI MPC Decision: भारतीय रिजर्व बैंक ने शहरी सहकारी बैंकों के लिए बुलेट पुनर्भुगतान योजना के तहत सोने के बदले कर्ज (गोल्ड लोन) को दोगुना कर चार लाख रुपये कर दिया है। यह सीमा उन शहरी सहकारी बैंकों के लिये बढ़ायी गयी है, जिन्होंने प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज के तहत सभी लक्ष्यों को 31 मार्च 2023 तक पूरा किया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘ शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) जिन्होंने 31 मार्च 2023 तक प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) के तहत समग्र लक्ष्य तक उप-लक्ष्य पूरा कर लिया है, उनके लिए बुलेट पुनर्भुगतान योजना के तहत गोल्ड लोन की मौजूदा सीमा को दो लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये करने का निर्णय किया गया है।’

‘बुलेट’ पुनर्भुगतान योजना के तहत कर्ज लेने वाला मूल राशि और ब्याज का भुगतान कर्ज अवधि के अंत में एकमुश्त करता है। हालांकि सोने के बदले कर्ज पर ब्याज का आकलन पूरी अवधि के दौरान हर महीने किया जाता है, लेकिन मूल राशि और ब्याज का भुगतान एकबारगी करना होता है।

इसीलिए इसे ‘बुलेट’ पुनभुर्गतान के नाम से जाना जाता है। दास ने कहा , ‘‘ यह उपाय हमारी उस पिछली घोषणा के तहत है, जिसमें कहा गया था कि 31 मार्च 2023 तक निर्धारित प्राथमिक क्षेत्र कर्ज के लक्ष्यों को पूरा करने वाले यूसीबी को उपयुक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा।’’

आरबीआई ने इस साल जून में मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज के तहत तय लक्ष्यों को मार्च 2023 तक पूरा करने वाले शहरी सहकारी बैंकों को उपयुक्त प्रोत्साहन दिया जाएगा। आरबीआई ने शुक्रवार को लगातार चौथी बार नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा। इसका मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न कर्जों पर मासिक किस्त (ईएमआई) में कोई बदलाव नहीं होगा।

रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर कायम रखा

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को 5.4 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने वैश्विक खाद्य और ईंधन की कीमतों के किसी भी झटके से घरेलू अर्थव्यवस्था के बचाव के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने वृहद आर्थिक स्थिरता और सतत वृद्धि की राह में ऊंची मुद्रास्फीति की एक प्रमुख जोखिम के रूप में पहचान की है। हालांकि, गवर्नर ने उम्मीद जताई कि सितंबर का खुदरा मुद्रास्फीति का आंकड़ा अगस्त और जुलाई से कम रहेगा।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2023-24 की पहली तिमाही में घटकर 4.6 प्रतिशत रह गई है, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 7.3 प्रतिशत थी। दास ने कहा, ‘‘जुलाई और अगस्त के असाधारण उच्चस्तर की तुलना में सितंबर में महंगाई दर का आंकड़ा नीचे आएगा क्योंकि खाद्य पदार्थों की कीमतों का प्रभाव अब कम हो रहा है।’’

आरबीआई ने 2023-24 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है। दूसरी तिमाही में इसके 6.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। अगले वित्त वर्ष यानी 2024-25 की पहली तिमाही खुदरा मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर आने का अनुमान है।

अगस्त की मौद्रिक नीति समीक्षा में भी चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति 5.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था। दास ने कहा कि वृद्धि सही दिशा में है। महंगाई में गिरावट का रुख जुलाई-अगस्त 2023 में कुछ पलट गया था। इसकी वजह खाद्य वस्तुओं के दाम हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि भू-राजनीतिक दबाव और प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों के मद्देनजर मुद्रास्फीति के परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता है।

गवर्नर दास ने कहा, ‘‘हम मुद्रास्फीति की उभरती परिस्थितियों को लेकर सतर्क रहते हैं। मैं दृढ़ता से इस बात को दोहराना चाहूंगा कि हमारा मुद्रास्फीति लक्ष्य चार प्रतिशत है, न कि दो से छह प्रतिशत।’’ उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य वृद्धि को समर्थन देते हुए टिकाऊ आधार पर मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में रखने का है। 

आरबीआई ने पीएम विश्वकर्मा को पीआईडीएफ में किया शामिल, योजना को दो साल का विस्तार

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि पीएम विश्वकर्मा को भुगतान अवसंरचना विकास कोष (पीआईडीएफ) योजना के तहत शामिल करने और योजना को दो साल का विस्तार देने का निर्णय किया गया है। गवर्नर ने द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि अब पीआईडीएफ योजना को दो साल की अवधि के लिए यानी 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है।

योजना की शुरुआत जनवरी, 2021 में की गई थी। इस योजना का मकसद छोटे और कम आबादी वाले शहरी क्षेत्रों (टियर-3 से टियर-6), पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख जैसे केंद्र शासित प्रदेशों में बिक्री केंद्र (पीओएस), त्वरित प्रतिक्रिया (क्यूआर) कोड जैसे भुगतान स्वीकार करने वाले बुनियादी ढांचे की पहुंच स्थापित करना है।

मूल योजना के तहत पीआईडीएफ योजना को दिसंबर, 2023 तक तीन साल के लिए लाया गया था। गवर्नर दास ने कहा कि टियर-1 और टियर-2 क्षेत्रों में पीएम स्वनिधि योजना के लाभार्थियों को अगस्त, 2021 में पीआईडीएफ योजना में शामिल किया गया। अगस्त, 2023 के अंत तक योजना के तहत 2.66 करोड़ से अधिक नए ‘टच पॉइंट’ तैनात किए गए हैं।

दास ने कहा, ‘‘ अब पीआईडीएफ योजना को दो साल के लिए यानी 31 दिसंबर, 2025 तक बढ़ाने का प्रस्ताव है। साथ ही पीआईडीएफ योजना के तहत सभी केंद्रों में पीएम विश्वकर्मा योजना के लाभार्थियों को शामिल करने का प्रस्ताव है। ’’

दास ने कहा कि पीआईडीएफ योजना के तहत लक्षित लाभार्थियों का विस्तार करने का यह निर्णय जमीनी स्तर पर डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने की दिशा में रिजर्व बैंक के प्रयासों को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा, ‘‘ उद्योग जगत से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर पीआईडीएफ योजना के तहत भुगतान स्वीकृति के उभरते तरीकों, जैसे साउंडबॉक्स डिवाइस और आधार-सक्षम बायोमीट्रिक उपकरण की तैनाती को प्रोत्साहित करने का प्रस्ताव है। इससे लक्षित भौगोलिक क्षेत्रों में भुगतान बुनियादी ढांचे की तैनाती में और तेजी आने की उम्मीद है।’’

दास ने कहा कि इन संशोधनों के संबंध जल्द जानकारी दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले महीने पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत की थी। इसमें कारीगरों को दिए जाने वाले ऋण पर आठ प्रतिशत तक की सब्सिडी देने का प्रस्ताव है। यह योजना कारीगरों को पांच प्रतिशत की बेहद सस्ती ब्याज दर पर बिना किसी गारंटी के तीन लाख रुपये तक का ऋण प्रदान करती है।

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