2000 Rupees Note: 2000 रुपये के नोट को वापस लेने से बढ़ेगी खपत, एसबीआई ने कहा- आर्थिक वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद, जानें और असर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 19, 2023 18:33 IST2023-06-19T18:32:47+5:302023-06-19T18:33:41+5:30
2000 Rupees Note: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.1 प्रतिशत हो जाएगी और समूचे वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत वृद्धि का आरबीआई का अनुमान भी पीछे छूट सकता है।

जून महीने की शुरुआत में कहा था कि 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के आधे से अधिक नोट वापस आ चुके हैं।
2000 Rupees Note: रिजर्व बैंक का 2,000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने का फैसला चालू वित्त वर्ष में खपत को बढ़ावा देकर आर्थिक वृद्धि दर को 6.5 प्रतिशत से भी आगे ले जाने में मददगार साबित हो सकता है। सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया।
देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के अर्थशास्त्रियों ने एक रिपोर्ट में कहा है कि वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि 8.1 प्रतिशत हो जाएगी और समूचे वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत वृद्धि का आरबीआई का अनुमान भी पीछे छूट सकता है।
एसबीआई की रिपोर्ट कहती है, ‘‘हम 2000 रुपये के नोट वापस लेने के प्रभावों की वजह से अप्रैल-जून तिमाही में वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रहने की उम्मीद करते हैं। यह हमारे उस अनुमान की पुष्टि करता है कि वित्त वर्ष 2023-24 में जीडीपी वृद्धि आरबीआई के अनुमान 6.5 प्रतिशत से अधिक रह सकती है।’’
आरबीआई ने जून महीने की शुरुआत में कहा था कि 2,000 रुपये मूल्य वर्ग के आधे से अधिक नोट वापस आ चुके हैं। इनमें से 85 प्रतिशत नोट बैंकों में जमा के रूप में आए थे जबकि 15 प्रतिशत नोट बैंक काउंटरों पर अन्य मूल्य के नोट से बदले गए थे। एसबीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि 2,000 रुपये के नोट के रूप में कुल 3.08 लाख करोड़ रुपये प्रणाली में जमा के रूप में लौटेंगे।
इनमें से करीब 92,000 करोड़ रुपये बचत खातों में जमा किए जाएंगे जिसका 60 प्रतिशत यानी करीब 55,000 करोड़ रुपये निकासी के बाद लोगों के पास खर्च के लिए पहुंच जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक, खपत में गुणक बढ़ोतरी की वजह से लंबे समय में यह कुल बढ़ोतरी 1.83 लाख करोड़ रुपये तक रह सकती है।
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि नोट वापस लेने के आरबीआई के कदम से मंदिरों और अन्य धार्मिक संस्थानों को मिलने वाले दान में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। इसके अलावा टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं और बुटीक फर्नीचर की खरीद को भी बढ़ावा मिलेगा।