Ramgarh: देश के तीसरे और राजस्थान का पहला क्रेटर बनेगा रामगढ़, 57.22 करोड़ की लागत से हो रहा विकास, जानें क्यों है महत्वपूर्ण और क्या है खासियत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 15, 2023 03:06 PM2023-05-15T15:06:26+5:302023-05-15T15:29:48+5:30

प्राकृतिक सुंदरता के साथ, भू विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास का  सामंजस्य है जो पर्यटकों को नैसर्गिक रुप से अपनी ओर खींचेगा।

Ramgarh country's third and Rajasthan's first crater will become development cost 57-22 crores know why important what specialty | Ramgarh: देश के तीसरे और राजस्थान का पहला क्रेटर बनेगा रामगढ़, 57.22 करोड़ की लागत से हो रहा विकास, जानें क्यों है महत्वपूर्ण और क्या है खासियत

पर्यटन विभाग प्रदेश में नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने व चिन्हित करने का कार्य कर रहा है। 

Highlightsवन विभाग की ओर से रामगढ़ क्षेत्र रिजर्व कंजरवेशन एरिया भी घोषित कर दिया गया है।देश में पहले दो क्रेटर महाराष्ट्र में लूनर क्रेटर व मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं।पर्यटन विभाग प्रदेश में नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने व चिन्हित करने का कार्य कर रहा है। 

जयपुरः पर्यटन विभाग की ओर से देश के तीसरे और राजस्थान के पहले क्रेटर रामगढ़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रदेश के बारां जिला मुख्यालय से तकरीबन चालीस किलोमीटर दूरी पर स्थित रामगढ़ क्रेटर स्थित है। यह एक भू विरासत क्षेत्र है, जो कि 600 मिलियन वर्ष पुराना माना जाता है।

पर्यटन विभाग की निदेशक डॉ.रश्मि शर्मा के अनुसार आगामी दिनों में यह राजस्थान सहित देश के सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल बन कर उबरेगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा  इस क्षेत्र को जियो हैरिटेज पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की बजट घोषणा की गई थी।

57.22 करोड़ की लागत से विकास कार्य करवाए जा रहे हैं, जिनमें झील का सौन्दर्ययीकरण, आधारभूत संरचनाओं का निर्माण व अन्य सजावटी कार्य शामिल है। शर्मा के अनुसार पर्यटन विभाग भू विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अग्रसर है। इसी श्रंखला में रामगढ़ क्रेटर में पर्यटन की प्रचुर संभावनाओं को विकसित किया जा रहा है।

डॉ शर्मा  के अनुसार यहां पर पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए प्राकृतिक सुंदरता के साथ, भू विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास का  सामंजस्य है जो पर्यटकों को नैसर्गिक रुप से अपनी ओर खींचेगा। वन विभाग की ओर से रामगढ़ क्षेत्र रिजर्व कंजरवेशन एरिया भी घोषित कर दिया गया है ।

पर्यटन विभाग, वन विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग इस क्षेत्र के विकास कार्य के लिए कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं। देश में पहले दो क्रेटर महाराष्ट्र में लूनर क्रेटर व मध्य प्रदेश में ढाला क्रेटर हैं। पर्यटन विभाग की निदेशक शर्मा ने बताया कि पर्यटन विभाग प्रदेश में नए पर्यटन स्थलों को विकसित करने व चिन्हित करने का कार्य कर रहा है। 

क्या है रामगढ़ क्रेटर, क्यों है महत्वपूर्ण- 

द सोसायटी ऑफ अर्थ साइंटिस्ट के महासचिव डॉ. सतीश त्रिपाठी के अनुसार वर्ष 1869 में प्रदेश के बाराँ जिले के मांगरोल तहसील से 12 किमी. दूरी पर स्थित एक क्रेटर की खोज की गई। माना जाता है कि यह क्रेटर 600 मिलियन वर्ष पूर्व अंतरिक्ष से किसी उल्का गिरने के प्रहार से बना था।

इस क्रेटर का व्यास 3.5 किमी है। प्राकृतिक भौगोलिक विरासत रामगढ़ क्रेटर को अंतरराष्ट्रीय संगठन, अर्थ इम्पैक्ट डेटाबेस सोसाइटी ऑफ कनाडा द्वारा वर्ष 2020 में संवैधानिक मान्यता दी गई है। रामगढ़ को अब विश्व भू-विरासत के 200 वें क्रेटर के रूप में पहचान मिल चुकी है।

यहां उल्का पिंड गिरने के प्रमाण वैज्ञानिक रूप से स्थापित होते हैं क्योंकि उल्का पिंड के प्रहार से उत्पन्न उर्जा से रेत पिघलकर शीशा बन जाती है। क्रेटर में लोहा, निकल और कोबॉल्ट की साधारण से अधिक मात्रा मिली है। कई क्षुद्रग्रहों में भी यह तत्व अधिक मात्रा में होते हैं, इसलिए उनकी उपस्थिति से भी यहाँ उल्का प्रहार का प्रमाण मिलता है।

क्या- क्या विकास कार्य प्रस्तावित हैंः 

उच्च गुणवत्ता वाली सड़क का निर्माण, नेचर ट्रेल, प्रवेश द्वार और सूचना केंद्र, नॉलेज सेंटर व कैफेटेरिया. क्रेटर स्थित झील का सौन्दर्ययीकरण, घाट का निर्माण, उद्यानों का विकास, हरित क्षेत्र का विकास, यहां स्थित मंदिर तक पहुंचने के लिए रोप-वे का निर्माण, प्रवेश द्वार औऱ साइनेज का निर्माण, बिजली, ड्रिप इरीगेशन व अन्य सजावटी कार्य करवाए जाने प्रस्तावित हैं, इन प्रस्तावित कार्यों पर सार्वजनिक निर्माण विभाग काम करवाए जा रहे हैं।

रामगढ़ क्रेटर के अन्य दर्शनीय स्थलः 

पर्यटन विभाग के उपनिदेशक दलीप सिंह राठौड़ के अनुसार रामगढ़ क्रेटर के अतिरिक्त इस क्रेटर की परिधि में खुजराहो शैली के दसवीं शताब्दी का प्राचीन शिव मंदिर स्थित है। इसे मिनी खुजराहो की संज्ञा दी जाती है। इसी संरचना के अंदर दो झील स्थित हैं जो कई प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक आवास हैं।

यहां 950  साल पुराना देवी मंदिर भी है, इसके साथ ही यहां अतिप्रचीन मंदिरों के समूह हैं। यहां केलपुरी समाधि स्थल भी स्थित है। यहां पर प्रवासी पक्षियों सहित चीतल हिरण और जंगली सूअर भी पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में पर्यटन के सभी आवश्यक तत्व मौजूद हैं।

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