राकेश झुनझुनवाला विवादों और घोटालों से दूर रहकर दूरगामी सोच से बने शेयर बाजार के बिगबुल

By भाषा | Published: August 14, 2022 04:44 PM2022-08-14T16:44:13+5:302022-08-14T16:52:38+5:30

साफ-सुथरी छवि के साथ शेयर बाजार में लंबे समय तक सक्रिय रहे राकेश झुनझुनवाला भारतीय बाजार के नए ‘बिग बुल’ कहलाए। उनसे पहले हर्षद मेहता और केतन पारेख को 'बिग बुल' कहा जाता था लेकिन दोनों के नाम अलग-अलग घोटालों से जुड़े रहे।

Rakesh Jhunjhunwala stayed away from scams, became the big bull of the stock market with far-reaching thinking | राकेश झुनझुनवाला विवादों और घोटालों से दूर रहकर दूरगामी सोच से बने शेयर बाजार के बिगबुल

फाइल फोटो

Highlightsराकेश झुनझुनवाला ने शेयर बाजार के जरिये करीब 5.8 अरब डॉलर का ‘नेटवर्थ’ खड़ा किया शेयर बाजार में लंबी पारी खेलने वाले राकेश झुनझुनवाला भारतीय बाजार के ‘बिग बुल’ कहे जाते थेशेयर निवेश की बेहतरीन समझ के चलते झुनझुनवाला को ‘भारत का वारेन बफे’ कहा जाता था

दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार हमेशा जोखिमों से घिरा रहा है। यहां तगड़ी कमाई करने वाले लोगों के नाम अक्सर घोटालों के साथ जुड़ते रहे हैं जिससे निवेशकों के मन में हमेशा ही एक तरह का संदेह हावी रहा है। लेकिन राकेश झुनझुनवाला ने अपने तरीकों से इस छवि को बदला और करीब 5.8 अरब डॉलर का ‘नेटवर्थ’ खड़ा कर वह भारत के सबसे बड़े व्यक्तिगत निवेशक बन गए थे।

काफी हद तक साफ-सुथरी छवि के साथ शेयर बाजार में लंबे समय तक सक्रिय रहे राकेश झुनझुनवाला भारतीय बाजार के नए ‘बिग बुल’ कहलाए। उनसे पहले यह तमगा हर्षद मेहता और केतन पारेख जैसे बड़े निवेशकों के पास रहा लेकिन उनके नाम अलग-अलग घोटालों से जुड़े रहे। निवेश को लेकर अलग तरह की समझ के चलते झुनझुनवाला को ‘भारत का वारेन बफे’ कहकर पुकारा जाता रहा।

संपत्ति सृजन को लेकर बेहद सजग रहने वाले झुनझुनवाला के बड़ी हस्तियों से करीबी ताल्लुकात भी रहे। भले ही उनका नाम शेयर घोटालों से नहीं जुड़ा लेकिन वह भेदिया कारोबार के कुछ मामलों से जरूर जुड़े रहे। इसके अलावा बड़ी घटनाओं के पहले शेयरों की खरीद-बिक्री को लेकर उनका रुख भी सवालों के घेरे में रहा। पिछले साल ही उन्होंने एप्टेक से जुड़े भेदिया कारोबार के एक मामले का निपटारा 37 करोड़ रुपये के भुगतान पर सहमति जताकर किया था।

इसके अलावा वर्ष 2021 में सोनी पिक्चर्स के साथ अधिग्रहण के फैसले के पहले ज़ी एंटरप्राइजेज के शेयरों में मोटा निवेश कर थोड़े समय में ही 70 करोड़ रुपये का लाभ कमाने पर भी कई तरह की शंकाएं उठी थीं। इन छिटपुट मामलों के बावजूद झुनझुनवाला की खासियत उनका शोध-आधारित शेयर चयन ही रहा। टाइटन और इंडियन होटल्स कंपनी जैसे शेयरों पर लगाए गए उनके सोचे-समझे दांव ने उन्हें भारतीय बाजार का बड़ा नाम बनाने में अहम भूमिका निभाई।

कुछ ही समय में हालत ऐसे हो गये कि झुनझुनवाला के पोर्टफोलियो में शामिल शेयरों को लेकर उनके हरेक कदम पर निवेशकों की नजरें रहने लगीं। यह अलग बात है कि ढांचागत क्षेत्र में झुनझुनवाला के कुछ निवेश अधिक कारगर नहीं साबित हुए लेकिन इसकी भरपाई उनके बाकी शेयर करते रहे। हालांकि, कंपनियों के उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन नहीं करने पर भी एक निवेशक के तौर पर झुनझुनवाला काफी सख्त रुख अपनाते थे।

वह कंपनियों के प्रबंधन से कड़े सवाल पूछने से परहेज नहीं करते थे। खुलकर अपनी बात करना और चुटीला अंदाज उनकी खासियत रही। अन्य शेयर निवेशकों के उलट उन्हें सार्वजनिक रूप से अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कोई परहेज नहीं रहा और उन्होंने कई सम्मेलन में खुलकर शिरकत की। यहां तक कि वह बाजार से इतर की गतिविधियों पर भी अपनी राय खुलकर रखते थे। कई मुद्दों पर उनका नजरिया सत्तारूढ़ सरकार के रुख से मेल खाता था।

यही वजह है कि पिछले साल जब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने पहुंचे तो किसी को भी ज्यादा अचरज नहीं हुआ। झुनझुनवाला ने जिंदगी के अंतिम दिनों में जिस एयरलाइन ‘आकाश एयर’ को शुरू करने के लिए पूरी कोशिश की, वह पिछले हफ्ते ही अपनी पहली उड़ान के साथ मुकाम पर जा पहुंची। वह अक्सर निवेशकों को अटकलबाजी से बचने और शेयरों के बारे में पूरी पड़ताल करने की सलाह देते थे।

वह रोजमर्रा के शेयर कारोबार के बजाय दीर्घकालिक निवेश को अधिक तरजीह देते थे। झुनझनवाला कहा करते थे कि कोई भी शख्स मौसम, मौत और बाजार के बारे में कोई अनुमान नहीं लगा सकता है। उनकी यह बात सही साबित हुई और रविवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।

Web Title: Rakesh Jhunjhunwala stayed away from scams, became the big bull of the stock market with far-reaching thinking

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