शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री पर खर्च होंगे 69,725 करोड़ रुपये, क्या है परियोजना, कैसे होंगे फायदे, मोदी सरकार ने किया ऐलान
By सतीश कुमार सिंह | Updated: September 24, 2025 17:18 IST2025-09-24T16:03:07+5:302025-09-24T17:18:16+5:30
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के जहाज निर्माण और समुद्री क्षेत्र को पुनर्जीवित करने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी।

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नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में जहाजों के निर्माण और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत बनाने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के एक व्यापक पैकेज को मंजूरी दी। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल बैठक में लिए गए इस निर्णय की जानकारी दी। यह पैकेज जहाज निर्माण की घरेलू क्षमता को बढ़ाने, दीर्घकालिक वित्तपोषण में सुधार करने, नई एवं पुरानी जहाज निर्माण परियोजनाओं के विकास को बढ़ावा देने, तकनीकी क्षमता एवं कौशल को बढ़ाने और एक मजबूत समुद्री बुनियादी ढांचा बनाने का काम करेगा।
#WATCH | Union Cabinet approves payment of Productivity Linked Bonus of 78 days for Rs. 1865.68 crores to over 10.91 lakh railway employees.
— ANI (@ANI) September 24, 2025
Approves doubling of the Bakhtiyarpur–Rajgir–Tilaiya railway line section in Bihar at a total cost of Rs. 2,192 crore.
Approves… pic.twitter.com/0Trpog2IrL
रोजगार सृजन और निवेश को प्रोत्साहन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश में जहाज निर्माण और समुद्री वहन क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए 69,725 करोड़ रुपये के व्यापक पैकेज को मंजूरी दी। यह पहल रोजगार सृजन और निवेश को प्रोत्साहन देने के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और आपूर्ति शृंखलाओं को लचीला बनाने में भी मददगार होगी।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि इस पैकेज को चार स्तंभों पर आधारित किया गया है। इसके तहत घरेलू जहाज निर्माण क्षमता बढ़ाने, दीर्घकालिक वित्तपोषण की सुविधा, नई एवं पुरानी जहाज निर्माण परियोजनाओं के विकास को प्रोत्साहन, तकनीकी क्षमताओं एवं कौशल विकास को बढ़ावा देने के साथ कानूनी, कर एवं नीतिगत सुधार भी लागू किए जाएंगे।
4,001 करोड़ रुपये का शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट भी जारी किया जाएगा
मंत्रिमंडल ने ‘जहाज निर्माण वित्तीय सहायता योजना’ (एसबीएफएएस) को 31 मार्च, 2036 तक बढ़ा दिया गया है और इसके लिए 24,736 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इस योजना के तहत जहाज निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए 4,001 करोड़ रुपये का शिपब्रेकिंग क्रेडिट नोट भी जारी किया जाएगा। इन सभी पहल की निगरानी के लिए 'राष्ट्रीय जहाज निर्माण मिशन' भी शुरू किया जाएगा।
इसके अलावा, 25,000 करोड़ रुपये के समुद्री विकास कोष (एमडीएफ) को मंजूरी दी गई है। इसमें 20,000 करोड़ रुपये का समुद्री निवेश कोष होगा जिसमें केंद्र सरकार की 49 प्रतिशत भागीदारी होगी। इसके साथ ऋण की लागत कम करने और परियोजनाओं की बैंक-योग्य क्षमता बेहतर करने के लिए 5,000 करोड़ रुपये का ब्याज प्रोत्साहन कोष भी बनाया जाएगा।
इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना और बीमा सहित जोखिम कवरेज का भी प्रावधान
‘जहाज निर्माण विकास योजना’ (एसबीडीएस) के लिए 19,989 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है। इसके तहत घरेलू जहाज निर्माण क्षमता को 45 लाख टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने, बड़े जहाज निर्माण क्लस्टर एवं अवसंरचना के विस्तार, इंडियन मैरीटाइम यूनिवर्सिटी के तहत इंडिया शिप टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना और बीमा सहित जोखिम कवरेज का भी प्रावधान किया गया है।
आधिकारिक बयान के मुताबिक, यह पैकेज लगभग 45 लाख टन क्षमता विकसित करेगा, 30 लाख रोजगार के अवसर सृजित करेगा और करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश आकर्षित करेगा। सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के लिए बड़े जहाजों को बुनियादी ढांचा क्षेत्रों की सूची में शामिल किया है।
समुद्री क्षेत्र वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
इसके तहत भारतीय स्वामित्व और भारतीय ध्वज लगाने वाले 10,000 टन या उससे अधिक वहन क्षमता वाले वाणिज्यिक जहाजों को बुनियादी ढांचे का दर्जा मिलेगा। इसी तरह, 1,500 टन या उससे अधिक क्षमता वाले जहाज, यदि वे भारत में बने हैं और भारतीय स्वामित्व एवं ध्वज के अंतर्गत हैं, तो उन्हें भी ढांचागत क्षेत्र का दर्जा दिया जाएगा। बयान के मुताबिक, समुद्री क्षेत्र वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बना हुआ है। यह मात्रा के हिसाब से देश के लगभग 95 प्रतिशत व्यापार तथा मूल्य के हिसाब से 70 प्रतिशत व्यापार का जरिया बना हुआ है।
जहाज निर्माण को अक्सर ‘भारी इंजीनियरिंग की जननी’ कहा जाता है। यह न केवल रोजगार और निवेश को बढ़ावा देता है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक स्वतंत्रता तथा व्यापार एवं ऊर्जा आपूर्ति शृंखलाओं की मजबूती में भी अहम भूमिका निभाता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्नातकोत्तर, स्नातक चिकित्सा शिक्षा क्षमता के विस्तार को मंजूरी दी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मौजूदा केंद्रीय और राज्य सरकार के चिकित्सा महाविद्यालयों को सुदृढ़ और उन्नत करने के लिए 5,000 स्नातकोत्तर सीट बढ़ाने की योजना के तीसरे चरण को बुधवार को मंजूरी दे दी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि मंत्रिमंडल ने मौजूदा सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों को उन्नत करने के वास्ते 5,023 एमबीबीएस सीट बढ़ाने के लिए केंद्रीय योजना के विस्तार को भी मंजूरी दी गई।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस पहल से स्नातक चिकित्सा क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, अतिरिक्त स्नातकोत्तर सीट सृजित करके विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ेगी और सरकारी चिकित्सा संस्थानों में नयी विशेषज्ञताएं शुरू करने में मदद मिलेगी।